यूपी के पॉलिटेक्निक संस्थानों में अजब गजब तंत्र हैं। यहां एक तरफ दाखिले के लिए स्टूडेंट्स का टोटा हैं तो दूसरी तरफ जो छात्र पढ़ाई कर रहे हैं, उनकी कॉपियों के मूल्यांकन के लिए पैसे की डिमांड की जा रही हैं। ऐसा ही एक सनसनीखेज मामला सामने आने और जमकर हुई फजीहत के बाद अब परिषद हरकत में आया हैं।
आरोपी परीक्षक के खिलाफ FIR दर्ज कराने के निर्देश जारी किए गए। साथ ही मूल्यांकन केंद्र के पर्यवेक्षक समेत राजकीय पॉलिटेक्निक के अपर मुख्य नियंत्रक यानी प्रधानाचार्य से भी स्पष्टीकरण मांगा गया हैं। 24 घंटे के भीतर सभी कार्रवाई कर परिषद को सूचित करने के निर्देश दिए गए हैं। बहरहाल पूरे घटनाक्रम में गंभीर लापरवाही की बरते जाने के बात सामने आ रही हैं।
दरअसल पॉलिटेक्निक की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में छात्रों से रुपये लेकर नंबर बढ़ाने का मामला सामने आया था। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद परिषद की ओर से इस पूरे मामले पर जांच बैठा दी गई। वायरल वीडियो में दिखाई दे रहा कि मूल्यांकन केंद्र से छात्र को फोन कर उसकी कॉपी दिखाई जा रही है। इसमें परीक्षक छात्र को फेल बताकर नंबर बढ़ाने के लिए पैसों की मांग कर रहा है।
वायरल वीडियो सितंबर के पहले सप्ताह का बताया जा रहा है। वीडियो में कॉपी की जांच कर रहे परीक्षक ने खुद एक छात्र के मोबाइल नंबर पर फोन कर ₹1500 की मांग की है। इतना ही नहीं इसके लिए परीक्षक की ओर से छात्र को क्यूआर कोड भी भेजा गया है। जानकारी के मुताबिक डीफार्मा की वार्षिक परीक्षाएं 12 से 20 जुलाई तक आयोजित हुई थी। 18 जुलाई को बायोकेमेस्ट्री का पेपर हुआ था, वायरल विडियो के मुताबिक, बायोकेमेस्ट्री के परीक्षक ने कॉपी में मोबाइल नंबर लिखने वाले एक छात्र को विडियो कॉल किया।
उसने विडियो कॉल पर पूरी कॉपी दिखाई, फिर बताया कि उसे 80 में सिर्फ 20 नंबर मिले हैं। इसके बाद पास करने के लिए पैसे लेने के लिए क्यूआर कोड भेजा। परीक्षक ने वॉट्सएप पर बात करते हुए 1500 रुपये में बात तय हो जाती है।
पॉलिटेक्निक में पहले भी उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के दौरान पास करने के लिए पैसों के लेनदेन के मामले सामने आते रहे हैं। इस कारण से साल 2018 -19 में परीक्षा समिति की बैठक में अहम निर्णय लेते हुए परीक्षार्थी द्वारा कॉपी में मोबाइल नंबर लिखने पर उसका रिजल्ट जारी करने पर रोकने का आदेश जारी किया गया था। इस आदेश के बाद हुए एग्जाम में करीब 500 से ज्यादा स्टूडेंट्स का रिजल्ट विदहेल्ड (रोका) गया था। निर्देशों के तहत कॉपियों के मूल्यांकन को रोकते हुए स्टूडेंट को डिबार भी करना था। पर बाद में ये नियम भी खटाई में चला गया। यही कारण हैं कि कॉपियों में मोबाइल नंबर लिखने के मामले अभी भी सामने आ रहे है। हालांकि कई बार इन नंबरों पर फर्जी परीक्षकों की कॉल आनी भी शुरू हुई तो पैंतरा बदल गया। इसके बाद मोबाइल नंबर के साथ एक कोड लिखा जाने लगा। छात्र को फोन कर कोड बताने के बाद ही पुष्टि होती है कि छात्र की कॉपी फोन करने वाले परीक्षक के पास है।