साउथ सुपरस्टार प्रभास की फिल्म ‘आदिपुरुष’ रिलीज के बाद से ही विवादों में घिरी हुई है। फिल्म में जिस तरह से हनुमान जी के कुछ डायलॉग दिखाए गए हैं, उन्हें लेकर भी काफी विरोध शुरू हो गया। कई सीन्स पर भी बवाल मचा। किसी को यह फिल्म पसंद आई तो किसी को नापसंद। कई लोगों में जबरदस्त रोष देखने को मिला। अब हनुमान जी पर दिखाए गए सीन और डायलॉग को लेकर बागेश्वर धाम सरकार पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने अपनी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने फिल्म की आलोचना करते हुए कहा कि ऐसी फिल्म बनाने वालों को हनुमान जी सद्बुद्धि दें।

पंडित धीरेन्द्र शास्त्री राजगढ़ जिले में हो रही अपनी कथा में श्रोतागढ़ों को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने फिल्म ‘आदिपुरुष’ का जिक्र करते हुए कहा कि इस फिल्म को बनाने वाले को तो वीर बजरंगी ही बचाए, अगर हनुमानजी कही होंगे और इस फिल्म को लिखने वाला फंस गया तो फिर सीताराम। उन्होंने कहा कि हमने पूरी फिल्म तो नहीं देखी है लेकिन किसी ने बताया कि इसमें कितने निम्न स्तर के संवाद बोले गए हैं। जिन्होंने लिखा है कि तेल तेरे बाप का…… वह अगर कहीं फंस गए तो जय-जय सीताराम ही बोलेंगे।

बागेश्वर बाबा ने आगे कहा कि जिन्होंने ये डायलॉग लिखा है हनुमान जी के बारे में उन्हें समझना चाहिए हनुमान जी बोलने इतने भी कटु थोड़ी है। हनुमान जी बहुत ज्ञानी, बहुत बुद्धिमान है। वह तार्किक भी हैं लेकिन लोग अपने बचाव में ऐसे तर्क भी प्रस्तुत ना करें, जिससे तर्क ही ख़राब हो जाए। उन्होंने कहा कि भारतीय फिल्म हमारे बच्चे बच्चियों के दिमाग पर छाप छोड़ती है, इसलिए भारत में अब ऐसी फिल्में बनाई जाए, जिससे संस्कारों की वृद्धि हो सके। सनातन का संरक्षण हो सके।

धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि हम तो यही कहेंगे हनुमान जी सद्बुद्धि दें। हमारे वीर बजरंगी भगवान हैं, कोई माने ना माने पर भक्तों के लिए तो है। बता दें कि धीरेंद्र शास्त्री जब मंच पर कथा कहने पहुंचे तो श्रद्धालुओं ने उत्साहित होकर तालियों से उनका स्वागत किया। इसी दौरान उन्होंने कुछ दिनों पहले आई फिल्म ‘आदिपुरुष’ में दिखाए गए हनुमान जी के सीन और डायलॉग को लेकर ये बयान दिया।

गौरतलब है कि बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की अभी राजगढ़ जिले के खिलचीपुर में 26 जून से 28 जून तक तीन दिवसीय हनुमंत कथा चल रही है। सोमवार को कथा का पहला दिन था जिसमें 70 हजार से अधिक महिलाएं और पुरुष कथा को सुनने पंडाल में पहुंचे थे। ऐसे में पूरा पांडल कथा शुरू होने से पहले ही श्रद्धालुओं से भर चुका था।

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