लोकसभा चुनाव के पहले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ महादेव बुक सट्टा ऐप मामले में ईओडब्ल्यू ने प्राथमिकी दर्ज की है, इसमें 19 लोगों को नामजद और अन्य को अज्ञात आरोपी बनाया गया है। इनके अलावा इसमें महादेव ऐप के प्रमोटर्स सौरभ चंद्राकर, रवि उप्पल और शुभम सोनी सहित कई अज्ञात पुलिस अफसरों और कारोबारियों के नाम भी शामिल हैं।इन सभी के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी, अपराधिक साजिश रचने और भ्रष्टाचार अधिनियम की विभिन्न धारा के तहत जुर्म दर्ज किया गया है। यह एफआईआर ईडी के प्रतिवेदन पर 4 मार्च को दर्ज की गई है।
इसमें बताया गया है कि महादेव बुक ऐप के प्रमोटर्स द्वारा ऑनलाइन बैटिंग ऐप चलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई रोकने के लिए पुलिस, प्रशासनिक अधिकारियों और प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्तियों का संरक्षण था। इसके एवज में उन्हें प्रोटेक्शन मनी के रूप में बड़ी रकम दी जाती थी। यह प्रोटेक्शन मनी की राशि हवाला ऑपरेटरों के माध्यम से वितरण करने वाले पुलिस अधिकारी एवं कर्मचारी तक पहुंचाई जाती थी। जिसे संबंधित पुलिस/प्रशासनिक अधिकारियों के साथ ही तथा प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्तियों को वितरित होती थी। विभिन्न पुलिस, प्रशासनिक अधिकारी एवं प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्तियों द्वारा अपने पद का दुरुपयोग करते हुए प्रोटेक्शन मनी के रूप में अवैध आर्थिक लाभ प्राप्त करते हुए अवैध संपत्ति अर्जित की गयी है।
बता दें कि नवंबर 2023 में वित्तीय अपराध जांच एजेंसी ने आरोप लगाया था कि महादेव बुक के प्रमोटर्स द्वारा हवाला के जरिए भूपेश बघेल को 508 करोड़ रुपए दिए गए थे। वहीं विधानसभा चुनाव के दौरान ईडी ने भिलाई के वाहन चालक असीम दास को पकडा़ था, उसकी कार और घर से 4.92 करोड़ रुपए जब्त किए गए थे।
एफआईआर में छठवें नंबर पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का नाम है। उनके अलावा प्रमोटर्स सौरभ चंद्राकर, रवि उप्पल, शुभम सोनी, चंद्रभूषण वर्मा, आसीम दास, नीतीश दीवान, सौरभ चंद्राकर, अनिल कुमार अग्रवाल, विकास छापरिया, रोहित गुलाटी, विशाल आहूजा, धीरज आहूजा, अनिल कुमार दम्मानी, सुनील कुमार दम्मानी, भीम सिंह यादव, हरिशंकर टिबरेवाल, सुरेंद्र बागड़ी, सूरज चोखानी और संबंधित अज्ञात ब्यूरोक्रेट्स, पुलिस अफसर और ओएसडी के नाम शामिल हैं।
एफआईआर में बताया गया है कि महादेव बुक के प्रमोटर्स सौरभ, रवि और शुभम द्वारा ऑनलाइन सट्टेबाजी के लिए ऑनलाइन लाइव मंच बनाया था। इसके लिए वाट्सएप, फेसबुक, टेलीग्राम और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म के जरिए सट्टेबाजी का खेल चल रहा था। मोटरों ने अलग-अलग प्लेटफार्म बनाए और पैनल आपरेटरों/शाखा आपरेटरों के माध्यम से आनलाइन सट्टेबाजी चला रहे थे। इसके जरिए अर्जित अवैध कमाई का 70 से 80 प्रतिशत हिस्सा अपने पास रखने के बाद बाकी पैसा पैनल आपरेटरों/शाखा संचालकों को बांट दिया जाता था।
एफआईआर में दावा किया गया है कि 2020 में कोरोनाकाल के दौरान लॉकडाउन लागू होने के बाद प्रमोटरों और पैनल आपरेटरों ने महादेव बुक के जरिए हर महीने करीब 450 करोड़ रुपए अर्जित किए। इसका ट्रांजेक्शन करने के लिए फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बैंक खाते खोले गए। (EOW action) एफआईआर में बताया गया है कि पैनल संचालकों ने विभिन्न बैंक खातों के माध्यम से संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में प्रमोटर्स को रकम ट्रांसफर की। वहीं वेबसाइटों में सट्टेबाजी का विज्ञापन देने के लिए एप प्रमोटरों ने भारी रकम खर्च की थी। साथ ही ऐसे कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते थे, जिसमें मशहूर हस्तियों को शामिल किया जाता था।
महादेव बुक एप के प्रमोटर्स द्वारा ऑनलाइन बैटिंग से प्राप्त अवैध राशि को भारी मात्रा में कई कंपनियों, शेल कंपनियों एवं शेयर मार्केट में निवेश किया गया है। इसी तरह इन प्रमोटर्स के द्वारा किप्टो करेंसी में भी निवेश किया गया है। ईडी द्वारा महादेव ऑनलाइन बुक के साथ जुड़े हरिशंकर टिबरेवाल के द्वारा इसी तरह का स्काई एक्सचेंज नामक बेटिंग प्लेटफार्म चलाया जा रहा था, जिसके पास से अवैध कमाई द्वारा अर्जित लगभग 580 करोड़ की संपत्ति प्रवर्तन निदेशालय द्वारा अटैच की गयी है।