कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने बयान के जरिए बताया कि यूपी एटीएस को खुफिया सूचनाएं मिली थीं कि आईएसआई के हैंडलर नाम बदलकर भारतीय विदेश मंत्रालय के कर्मचारियों को लालच देकर गोपनीय सूचनाएं हासिल कर रहे हैं। ये सूचनाएं भारतीय सेना से संबंधित हैं और इन्हें सार्वजनिक करना प्रतिबंधित है। इसकी जांच के दौरान मॉस्को दूतावास में तैनात भारतीय कर्मचारी सतेंद्र सिवाल की गतिविधियां संदिग्ध मिली थीं। इसके बाद सतेंद्र को पूछताछ के लिए बुलाया गया था, लेकिन उस समय कोई खास सुबूत नहीं मिले थे। इसके बाद से सतेंद्र पर नजर रखी जा रही थी। शनिवार को उसे मेरठ में पूछताछ के लिए बुलाया गया। इस दौरान वह यूपी एटीएस के सवालों के जवाब नहीं दे पाया। कड़ाई से पूछताछ करने पर अपना अपराध स्वीकार करते हुए पूरा मामला बता दिया।
एडीजी एटीएस मोहित अग्रवाल ने बताया कि सतेंद्र आईएसआई के हनी ट्रैप का शिकार हुआ है। बीते दो साल से आईएसआई हैंडलर फेसबुक के जरिए सतेंद्र से युवती बनकर बात कर रहा था। उसे मोटी रकम और महंगे गिफ्ट का लालच देकर बरगलाया गया। झांसे में आकर सतेंद्र मॉस्को दूतावास में उपलब्ध भारतीय सेना से जुड़े दस्तावेज उन्हें देने लगा। इसके बदले में उसे कितना पैसा मिला, इसकी जांच की जा रही है। उसके भारत और मॉस्को के बैंक खातों की जानकारी जुटाई जा रही है। मोबाइल फोन फोरेंसिक जांच के लिए भेजे गए हैं।
खुफिया एजेंसी से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ हनीट्रैप को सबसे मजबूत और सुरक्षित हथियार के रूप में इस्तेमाल करता है। पाकिस्तान ने इस काम के लिए बाकायदा सात मॉड्यूल तैयार कर रखे हैं। इसमें 25 से ज्यादा लड़कियां अलग-अलग रोल में अलग-अलग टाइम पर हिंदुस्तानी जवानों और अफसरों को टारगेट करती हैं। आईएसआई कराची, लाहौर और हैदराबाद जैसे शहरों में खूबसूरत लड़कियों और सेक्स वर्कर्स को इस काम के लिए तैयार करती है। इन लड़कियों के सेलेक्शन का सबसे पहला पैमाना उनकी खूबसूरती होता है। कई बार इसके लिए कॉलेज गर्ल्स का भी इस्तेमाल होता है।
आईएसआई द्वारा इन लड़कियों को ट्रेनिंग के बाद इंडियन फोर्सेज के जवानों और अफसरों से बातचीत करने के लिए तैयार किया जाता है। इस ट्रेनिंग में उन्हें भारतीय सेना के बारे में पर्याप्त जानकारी दी जाती है। अफसरों की रैंक, यूनिट और उनकी लोकेशन के बारे में बताया जाता है। हनी ट्रैप के इस पूरे खेल के दौरान मिलिट्री इंटेलिजेंस के अफसर भी उन्हें मॉनीटर करते रहते हैं। आप कह सकते हैं कि इन लड़कियों का रोल एक कठपुतली से ज्यादा कुछ नहीं होता। जिन्हें बाद में या तो हटा दिया जाता है या फिर नया काम सौंप दिया जाता है।
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के हनी ट्रैप की इस साजिश के टारगेट पर इंडियन आर्मी के साथ एयरफोर्स, नेवी, डीआरडीओ, रेलवे और बीएसएफ से जुड़े जवान और अफसर रहते हैं। इस पूरे मिशन में इस बात का पूरा ख्याल रखा जाता है कि लड़कियों को अपने टारगेट के सामने ऐसे पेश किया जाए। जिससे उनको दूर-दूर तक उन पर शक न हो और उनकी असलियत पता न चले। इसके लिए ट्रेनिंग के बाद लड़की को आर्मी कैंट या वहां के किसी कॉलेज में एक कमरा दे दिया जाता है। इसे वो लड़की अपने कमरे के तौर पर टारगेट को दिखाती है।
कमरे की दीवारों पर भगवान की तस्वीरें, पूजा पाठ की सामग्री रखी होती है। इस दौरान लड़कियों को सिर्फ और सिर्फ इंडियन ड्रेस पहनने की ही इजाजत होती है। वीडियो कॉल में ये चीजें देखकर इंडियन आर्मी से जुड़े जवानों और अफसरों को इन लड़कियों के हिंदू होने का यकीन हो जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है, ताकि इन लड़कियों को पाकिस्तान से हिन्दुस्तान शिफ्ट किया जा सके। साथ ही इन लड़कियों की असलियत किसी भी कीमत पर न खुले। इसका ध्यान रखा जाता है। इतनी तैयारी के बाद अक्सर ये लड़कियां आईएसआई की साजिश में सफल भी हो जाती हैं।
आईएसआई के हनी ट्रैप के मॉडस ऑपरेंडी की शुरुआत दोस्ती से होती है। इस रैकेट में शामिल लड़कियां पहले सोशल मीडिया पर फर्जी आईडी बनाकर जवानों और अफसरों की तलाश करती हैं। उन्हें फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजती हैं। साजिश के तहत, रिक्वेस्ट एक्सेप्ट होते ही बातचीत, दोस्ती, प्यार का सिलसिला शुरू होता है। यहां तक कि इस दौरान जवानों और अफसरों से शादी का वादा तक किया जाता है। भरोसा जमाने और उसे बनाए रखने के लिए ऐसी लड़कियां जरूरत के मुताबिक बगैर कपड़ों के भी वीडियो चैट शुरू कर देती हैं।
इस तरह के न्यूड कॉल के दौरान तमाम तरह की कहानियों के साथ जाल में फंस चुके जवानों या अफसरों से गोपनीय जानकारियां जुटा ली जाती है। यदि कहीं शिकार जानकारी या तस्वीरें देने से इनकार कर दें, तो फिर ये जासूस उन्हें ब्लैकमेल करने लगती हैं। ये लड़कियां पहले अपने टारगेट से व्हाट्सएप की ओटीपी हासिल कर लेती हैं और फिर उसी नंबर से चैट करती हैं, ताकि किसी को भी नंबर भारत के एसटीडी कोड +91 से शुरू हो और चैट करने वाली लड़की भी भारत की ही लगे। इस काम के लिए पाकिस्तान में आईएसआई, आर्मी इंटेलिजेंस लाहौर, पाकिस्तान मिलिट्री इंटेलिजेंस यूनिट 412, आईएसआई कराची, मालिर कैंट यूनिट, पाकिसतान एयरफोर्स 552 मॉड्यूल, चकलाला कैंट रावलपिंडी नाम के सात मॉड्यूल एक्टिव हैं।