भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व चीफ बृजभूषण सिंह के खिलाफ आंदोलनरत पहलवान साक्षी मलिक ने आज कहा था कि सिंह के द्वारा नाबालिग महिला पहलवान के परिवार को डराया धमकाया गया था, जिस वजह से दिल्ली पुलिस के सामने जांच में के दौरान उसने बयान बदलना पड़ा। उसके बाद बवाल मचना शुरू हो गया। लेकिन अब इस मामले पर नाबालिग पहलवान के पिता की प्रतिक्रिया सामने आई है, जिसमें उन्होंने पहलवान साक्षी मलिक के दावों का खंडन करते हुए कहा कि उनके परिवार को किसी के तरफ से कोई धमकी नहीं मिली है। नाबालिग पहलवान के पिता ने साफ साफ बताया कि हमें जो करना था,हमें जो उचित लगा, हमने कर दिया है। पहलवान ने हमारे परिवार को धमकी मिलने का जो दावा किया , इसमें कोई भी सच्चाई नहीं है। हमारे परिवार पर किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं है।

साक्षी मलिक ने अपने ट्विट में बताया कि सारे पहलवान पहले कथित यौन उत्पीड़न के खिलाफ सामने क्यों नहीं आईं। साक्षी मलिक ने ट्विट किये वीडियो में कहा- पहले हम पर बहुत लंबे समय तक चुप रहने का आरोप लगाया गया था, लेकिन इसके कई कारण हैं। हम एकजुट नहीं थे और दूसरी बात पीड़ितों में नाबालिग भी थीं।

वह नाबालिग पहलवान, जिसने सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था और जिसकी शिकायत पर POCSO का मामला दर्ज किया गया था, उसने आईपीसी की धारा 161 और 164 के तहत अपने बयान दिए। लेकिन बाद में वह अपने बयान से मुकर गई क्योंकि उसके परिवार को सिंह के तरफ से धमकी दी गई थी।

दिल्ली पुलिस द्वारा दायर चार्जशीट में सीआरपीसी की धारा 164 के तहत पीड़ितों का दिया गया बयान दो आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट करने का मुख्य वजह है। नाबालिग के बयान पर पुलिस उसे कथित अपराध के स्थान पर ले गई। उन्हें इस दौरान कोई भी सुनसान जगह नहीं मिली जहां अपराध हो सकता था।

बता दें कि पीड़िता ने अपनी शिकायत में दावा किया कि आरोपी ने उसे उस कमरे में बुलाया जहां उसपर कथित तौर पर हमला किया गया। पीड़ितों द्वारा दिए गए डिजिटल साक्ष्य अपराध के कथित स्थान पर अभियुक्तों की उपस्थिति को मजबूती से साबित करते हैं।

पीड़ितों ने अपने आरोपों के समर्थन में दिल्ली पुलिस को अलग अलग जगहों की लगभग पांच तस्वीरें दी है। दो दर्जन गवाहों में से लगभग सात ने सिंह के खिलाफ पीड़ितों के आरोपों का समर्थन किया है। बाकी आरोपियों के पक्ष में बोले हैं। वे सभी ट्रायल के दौरान क्रॉस एग्जामिनेशन से गुजरेंगे। दूसरे देशों के कुश्ती महासंघों से डिजिटल साक्ष्य मिलने के बाद पुलिस एक और आरोप पत्र दायर करेगी।

दायर चार्जशीट में हर शिकायत का अलग से जिक्र किया गया है। छह पहलवानों ने अपनी शिकायतों में कई घटनाओं का उल्लेख किया है। प्रत्येक शिकायत के लिए गवाहों, फोटो या वीडियो की पुष्टि करने का दावा किया गया है।जिसमें से चार आरोपों में फोटो सबूत के तौर पर दिए गए हैं।

जांच में शामिल अधिकारी ने बताया कि ये तस्वीरें, मेडल अवार्ड समारोह, ग्रुप फोटो और अन्य कार्यक्रमों की हैं। कुछ तस्वीरों को पहलवानों ने दिया था जबकि अन्य तस्वीरों को जुटाने के लिए दिल्ली पुलिस ने तीन देशों का सहारा लिया, जहां पर टूर्नामेंट खेले गए थे।

सबसे पहले 18 जनवरी को पहली बार कई पहलवान बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरने पर बैठे।फिर सरकार द्वारा एक्शन किये जाने के आश्वासन मिलने के बाद ये धरने से उठ गये, समय पर एक्शन नहीं होने पर 23 अप्रैल को पहलवानों ने दूसरी बार धरना शुरू किया। इस दौरान पहलवानों ने मौसम की मार झेली, पुलिस के साथ हाथापाई भी हुई। पहलवानों के खिलाफ एफआईआर भी हुई, लेकिन विरोध प्रदर्शन जारी रहा।

पहलवानों और गृहमंत्री अमित शाह के बीच करीब दो घंटे चली मुलाकात के बाद कहानी बदल गई और पहलवान अपनी नौकरियों पर पर लौट गए। फिर सात जून को खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने पहलवानों को मुलाकात के लिए बुलाया। खेल मंत्री से मिलने पहुंचे पहलवानों ने कहा कि उनका आंदोलन अभी खत्म नहीं हुआ है। जब तक सिंह की गिरफ्तारी नहीं होगी पहलवान धरना देते रहेंगे, ऐसा उन्होंने दावा किया था।

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