कांग्रेस समेत 14 विपक्षी दलों को सुप्रीम कोर्ट से बुधवार को झटका लगा है। कोर्ट ने विपक्षी दलों द्वारा सीबीआई और ईडी जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों के खिलाफ दायर की गई याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने साफ किया कि नेताओं के लिए अलग से गाइडलाइंस नहीं बना सकते हैं। इसके बाद में विपक्षी दलों ने याचिका को वापस ले लिया।

विपक्षी दलों की यह याचिका पिछले महीने वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी द्वारा दायर की गई थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि पिछले कुछ सालों में सीबीआई और ईडी द्वारा दायर मामलों की संख्या में वृद्धि हुई है। हाल-फिलहाल के सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के 95 प्रतिशत मामले विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ थे। इसको लेकर विपक्षी दलों ने भविष्य के लिए दिशानिर्देश की मांग की थी।

याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने की और इसमें जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला भी शामिल थे। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि विशेष मामले के तथ्यों के बिना सामान्य दिशानिर्देश निर्धारित करना संभव नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ”नेताओं के लिए अलग गाइडलाइंस नहीं बना सकते।”

सुप्रीम कोर्ट ने आरोप लगाने वाले राजनीतिक दलों से कहा कि जब आपके पास कोई व्यक्तिगत आपराधिक मामला हो या कई मामले हों तो हमारे पास वापस आएं। किसी खास मामले के तथ्यों के बिना आम दिशा-निर्देश तय करना संभव नहीं है। कोर्ट ने कहा कि विपक्षी नेताओं के खिलाफ ईडी और सीबीआई के ज्यादा केस दिखाने वाले आंकड़ों के आधार पर केवल नेताओं के लिए गाइडलाइन की मांग नहीं कर सकते हैं। उन्हें अभियोजन से कोई छूट नहीं मिलती है। कोर्ट ने कहा कि नेता आम नागरिकों के बराबर ही होते हैं। इसके बाद कोर्ट ने याचिका को वापस लेने की अनुमति दे दी।

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील सिंघवी ने स्पष्ट किया कि वह विपक्षी नेताओं के लिए कोई व्यापक सुरक्षा या छूट नहीं मांग रहे, बल्कि निष्पक्षता की मांग कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकार विपक्ष को कमजोर और हतोत्साहित करने के लिए अपनी एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है और यह लोकतंत्र और कानून के शासन के लिए हानिकारक है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि सरकार आरोपी व्यक्तियों को गिरफ्तार करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित “ट्रिपल टेस्ट” का उल्लंघन कर रही है, जिसके लिए उचित आधार, आवश्यकता और आनुपातिकता की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि कई विपक्षी नेताओं को बिना किसी सबूत या औचित्य के गिरफ्तार किया जा रहा है और यह निर्वाचित प्रतिनिधियों के रूप में अपने कर्तव्यों को निभाने की उनकी क्षमता को प्रभावित कर रहा है।

याचिकाकर्ता की ओर से आरोप लगाया गया था कि राजनीतिक असंतोष को पूरी तरह से कुचलने और लोकतंत्र के मौलिक परिसर को खत्म करने के उद्देश्य से सीबीआई और ईडी जैसी जांच एजेंसियों को एक चुनिंदा और लक्षित तरीके से तैनात किया जा रहा है। कांग्रेस के अलावा, संयुक्त याचिका पर हस्ताक्षर करने वाले दलों में डीएमके, आरजेडी, बीआरएस, तृणमूल कांग्रेस, आप, एनसीपी, शिवसेना (यूबीटी), जेएमएम, जेडीयू, सीपीआईएम, सीपीआई, समाजवादी पार्टी और नेशनल कॉन्फ्रेंस शामिल हैं।

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