देश में तेजी से चल रहे धर्मांतरण के खेल और कई राज्यों की डेमोग्राफी बदल जाने को लेकर जताई जा रही देशव्यापी चिंता के बीच भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि देश में सुनियोजित तरीके से धर्मांतरण हो रहा है जो हमारे मूल्यों और संवैधानिक सिद्धांतों के विपरीत है। देखा जाये तो धर्मांतरण और घुसपैठ के कारण भारत के 9 राज्यों, 200 जिलों तथा 1500 तहसीलों की डेमोग्राफी बदल चुकी है। इसी बात को रेखांकित करते हुए धनखड़ ने कहा कि ‘शुगर कोटेड फिलॉसफी’ बेची जा रही है और समाज के कमजोर वर्गों को निशाना बनाया जा रहा है। उपराष्ट्रपति ने जयपुर में हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला 2024 में उद्घाटन भाषण में कहा कि यह बहुत खतरनाक है और धर्मांतरण ‘‘नीतिगत, संस्थागत और सुनियोजित साजिश’’ के तहत हो रहा है। धनखड़ ने कहा कि ‘शुगर कोटेड फिलॉसफी’ बेची जा रही है। आदिवासियों सहित समाज के कमजोर वर्गों को निशाना बनाया जा रहा है और उन्हें प्रलोभन दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम धर्म परिवर्तन देख रहे हैं और यह हमारे मूल्यों और संवैधानिक सिद्धांतों के विपरीत है। ऐसी भयावह ताकतों को बेअसर करने की तत्काल आवश्यकता है। हमें सतर्क रहना चाहिए और तेजी से कार्य करना चाहिए। आप कल्पना नहीं कर सकते कि वर्तमान में भारत को खंडित करने में सक्रिय लोगों की सीमा कितनी है।’’
हम आपको बता दें कि देश की कई अदालतों ने भी देश में धर्मांतरण के बढ़ते मामलों पर गंभीर टिप्पणियां की हैं। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल ही में धर्मांतरण के एक आरोपी की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि यद्यपि संविधान प्रत्येक व्यक्ति को अपना धर्म मानने और उसका प्रचार करने का अधिकार देता है, लेकिन यह धर्म परिवर्तन कराने के सामूहिक अधिकार में तब्दील नहीं होता। यहां सवाल उठता है कि अदालतों की बार-बार की कड़ी टिप्पणियों के बावजूद देश में धर्मांतरण विरोधी सख्त कानून क्यों नहीं बनाया जा रहा है? बार-बार सिर्फ यही क्यों कह दिया जाता है कि हिंदू समाज को जागृत होना होगा। बार-बार जागो हिंदू जागो का आह्वान कर दिया जाता है। सवाल उठता है कि सरकार, मंत्री, सांसद और विधायक क्यों नहीं जागते? सवाल उठता है कि धर्मांतरण विरोधी कानून हिंदुओं को जगाकर बनाना है या सरकार को संसद और विधानसभा में चर्चा कर बनाना है?
जहां तक धनखड़ के विस्तृत संबोधन की बात है तो आपको बता दें कि उन्होंने परोक्ष रूप से कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर हमला करते हुए कहा कि जो लोग सनातन धर्म में विश्वास नहीं करते और इसे संकट मानते हैं, वे ‘‘मूर्खता के प्रतीक’’ हैं। धनखड़ ने किसी का नाम लिए बगैर कहा, ‘‘मैं इस बात से चिंतित हूं कि कुछ लोगों को देश और विदेश में उन लोगों के साथ बैठने का साहस कहां से मिलता है जो राष्ट्र के हित में नहीं हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जो लोग इस राष्ट्र को तोड़ना चाहते हैं, जो सनातन को नहीं मानते और जो सनातन को संकट मानते हैं, वे मूर्खता की पराकाष्ठा हैं…।’’ उन्होंने कहा कि यह चुप रहने का समय नहीं है ‘‘यह सदी भारत की है, यह सदी सनातन धर्म की भूमि की है।’’ धनखड़ ने यह भी कहा कि संविधान की प्रस्तावना सनातन धर्म का सार दर्शाती है।
उन्होंने कहा, ”हमारे संवैधानिक मूल्य सनातन धर्म से निकले हैं। संविधान की प्रस्तावना सनातन धर्म का सार दर्शाती है। सनातन समावेशी है! सनातन ही मानवता को आगे बढ़ाने का एकमात्र रास्ता है।’’ उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम वर्तमान समय में अत्यंत प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि हमारे सामने कुछ ऐसे मुद्दे हैं जो चुनौतीपूर्ण हैं, जिनका समाधान विश्व को भारत ही दे सकता है। धनखड़ ने कहा कि आज भी हिंदू समाज में सेवा का भाव प्रबल रूप से विद्यमान है। जब देश में कोविड का संकट आया, हमने देखा कि यह भाव कितना प्रबल रहा। उपराष्ट्रपति ने कहा कि आक्रमणकारी आए, विदेशी ताकतें आईं, उनका शासन रहा फिर भी हमारे सेवा संस्कार में कोई कमी नहीं रही। लोग इस पथ पर चलते रहे।