आरएसएस के राष्ट्रीय महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने कहा है कि भारत को अंग्रेजी नाम इंडिया नहीं बल्कि ‘भारत’ कहा जाना चाहिए। उन्होंने भारत बनाम इंडिया की बहस को फिर से हवा दे दी है। होसबोले ने सवाल उठाया कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल राष्ट्रपति भवन में जी-20 डिनर के दौरान खुद देश को ‘भारत गणराज्य’ कहा था, तो फिर भारतीय रिजर्व बैंक या संविधान जैसी संस्थाओं को अंग्रेजी नाम क्यों रखना चाहिए। 

दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि अंग्रेजी में तो इंडिया है, लेकिन भारतीय भाषा में ‘भारत’ है। यह ‘कंस्टीटूशन ऑफ इंडिया’ है, ‘रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया’ है…ऐसा क्यों है? ऐसा सवाल उठना चाहिए। इसे सुधारा जाना चाहिए। अगर देश का नाम भारत है, तो इसे इसी नाम से पुकारा जाना चाहिए। होसबोले ने कहा कि भारत एक भौगोलिक इकाई या संवैधानिक ढांचे से कहीं अधिक है; यह एक गहन दर्शन और आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक है। पंचशील बालक इंटर कॉलेज के सभागार में सुरुचि प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक विमर्श भारत का के विमोचन के अवसर पर बोलते हुए होसबोले ने इंडिया की बजाय भारत की पहचान को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। 

इस कार्यक्रम का आयोजन आरएसएस से प्रेरित संगठन प्रेरणा शोध संस्थान न्यास ने किया था। उन्होंने कहा कि देश का नाम भारत है, तो भारत ही बोलो। इंडिया तो अंग्रेजी नाम है।” उन्होंने ‘कंस्टीटूशन ऑफ इंडिया’, ‘रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया’ जैसे विरोधाभासों की ओर इशारा करते हुए कहा कि अभी भी उन्हें ”औपनिवेशिक” नाम दिया जा रहा है। होसबोले ने इस मुद्दे को ‘मानसिकता के विउपनिवेशीकरण’ की व्यापक आवश्यकता से जोड़ते हुए तर्क दिया कि ब्रिटिश शासन ने एक गहरी छाप छोड़ी है जो अभी भी भारतीय चेतना को आकार दे रही है। 

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