लखीमपुर के दुधवा नेशनल पार्क में मृत मिले बाघ की मौत भूख और प्यास से तड़पकर हुई थी। शरीर पर गहरे घाव थे। शव सड़ रहा था और कीड़े पड़ गए थे। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) बरेली की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इसकी पुष्टि हुई है।
आईवीआरआई के संयुक्त निदेशक कैडरेड डॉ. केपी सिंह के मुताबिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला है कि मृत मिले बाघ की करीब तीन हफ्ते पहले हाथी या गैंडे जैसे बड़े जानवर से संघर्ष हुआ होगा। इसमें गंभीर जख्मी हो गया था। जख्मी होने से वह शिकार में सक्षम नहीं था। गहरे घाव पकने से सड़न होने लगी।
शिकार न होने से वह भूखा रहा होगा और पानी भी नहीं मिला होगा। भीषण गर्मी के चलते शरीर डिहाइड्रेशन की चपेट में था। घाव, सड़न, भूख और प्यास के साथ डिहाइड्रेशन की वजह से बाघ कमजोर हो चुका था। जो उसकी मौत की वजह बना। बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट संबंधित अधिकारियों को भेज दी गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक शव में कीड़े पड़ने समेत सभी ज्वॉइंटस में भी कीड़े पड़ गए थे। संयुक्त निदेशक के मुताबिक आमतौर पर किसी जानवर के जोड़ों में कीड़े पड़ने के मामले सामने नहीं आते हैं। शव इस कदर सड़ चुका था कि उसे रख पाना कठिन था।
लिहाजा, देर रात दो बजे तक टीम ने पोस्टमार्टम किया फिर सुबह उसे जला दिया। पोस्टमार्टम से लेकर जलाने तक की प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की गई है। बता दें कि रामपुर ढकैया गांव में मरी बाघिन का पेट भी पूरी तरह खाली पाया गया था। उसका पोस्टमार्टम भी आईवीआरआई में हुआ था।

10 दिन में तीन बाघों की मौत पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ा रुख अपनाया है। मुख्यमंत्री ने वन मंत्री डॉ. अरुण कुमार सक्सेना और अपर मुख्य सचिव को तत्काल दुधवा नेशनल पार्क जाकर जांच करने और विस्तृत रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए। वन मंत्री अधिकारियों के साथ शुक्रवार रात ही दुधवा पहुंच गए।
इसके बाद शुक्रवार रात जांच टीम ने दुधवा नेशनल पार्क पहुंचकर जानकारी इकट्ठा की. बता दें कि बाघों की मौत के पीछे अधिकारियों ने नुकीली हड्डी खा लेना, आंतरिक चोट, पेट फट जाना बताया गया था।

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