हाईकोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी – ED) से कहा है कि वह मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के धनशोधन के मामले में उसकी हिरासत में रहने के दौरान आदेश पारित करने के मुद्दे को मामले की सुनवाई करने वाले विशेष न्यायाधीश के समक्ष रखे और उसको लेकर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करे।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन एवं न्यायमूर्ति मनप्रीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने कहा कि धनशोधन मामले को देख रहे विशेष न्यायाधीश को निर्देश दिया जाता है कि अगर जरूरी हो तो इस मुद्दे पर वे कानून के तहत आदेश पारित करे। पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि उसने याचिकाकर्ता के अधिकार क्षेत्र पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
उसने यह कहते हुए सुरजीत सिंह यादव की उस जनहित याचिका का निपटारा कर दिया, जिसमें केजरीवाल को ईडी की हिरासत में रहते हुए मुख्यमंत्री के तौर पर आदेश जारी करने से रोकने का निर्देश देने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि यह (हिरासत में रहते हुए आदेश जारी करना) कानूनी कार्यढांचे के खिलाफ है।
पीठ ने कहा कि यह अदालत ईडी को निर्देश देती है कि वह अपनी सामग्री/नोट को उक्त न्यायाधीश के संज्ञान में लाए, जो जरूरत पड़ने पर कानून के अनुसार आदेश पारित करे। सुनवाई के दौरान ईडी के वकील ने कहा कि उसे याचिका में उठाए गए मुद्दे की जानकारी है।
वकील ने कोर्ट को यह भी बताया कि वह केजरीवाल के हिरासत में रहने के दौरान मुख्यमंत्री की हैसियत से आदेश पारित करने के लिए उन्हें कोई सुविधा नहीं दे रहा है। याचिकाकर्ता की आशंका या सोच यह है कि ईडी ने मुख्यमंत्री को उपकरण और बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराया है, लेकिन यह मामला नहीं है।
हमने उन्हें कुछ भी मुहैया नहीं कराया है। हमने कुछ जांच की है। उन्होंने कहा कि यदि ‘मुलाकात’ के जरिए प्रक्रिया का दुरुपयोग हुआ है तो इस पर गौर करना होगा। आज यह विवादित नहीं है कि केजरीवाल के हिरासत में रहने के दौरान आदेश पारित किया गया है।
इस पर कोर्ट के ईडी से मामले को विशेष न्यायाधीश के संज्ञान में लाने को कहा। साथ ही सुझाव दिया कि याचिका को ईडी एक प्रतिवेदन के रूप में लेगी। केजरीवाल का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील राहुल मेहरा ने याचिका का जोरदार विरोध किया। उन्होंने कहा कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है और ईडी इस मामले से निपटने में सक्षम है।