भाजपा नेता देवेन्द्र फडणवीस, शिवसेना के एकनाथ शिंदे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अजित पवार ने गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर कैबिनेट बंटवारे पर चर्चा की। फडणवीस और पवार के साथ बैठक से पहले शाह और भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा ने शाह के आवास पर शिंदे से मुलाकात की। उन तीनों की मुलाकात करीब बीस मिनट तक हुई। हालांकि, इसको लेकर विपक्ष तंज भी कस रहा है। शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र से जुड़ी सारी बातें दिल्ली में तय होंगी। एकनाथ शिंदे और अजित पवार को अपने मुद्दे रखने के लिए बार-बार दिल्ली आना होगा।

राउत ने कहा कि उन्हें पीएम और अमित शाह की बात माननी होगी। वह (अजित पवार) हमेशा डिप्टी सीएम थे और वह डिप्टी सीएम ही बनेंगे। लोकसभा चुनाव के बाद उनके चेहरे की जो चमक गायब हो गई थी, वह अब लौट आई है, यह ईवीएम का कमाल है। उन्होंने तंज भरे लहजे में कहा कि ‘3 मूर्ति’ मंदिर बनना चाहिए, बीच में ईवीएम, एक तरफ पीएम और दूसरी तरफ अमित शाह। अब इसको लेकर भाजपा की ओर से पलटवार किया गया है।

बीजेपी सांसद दिनेश शर्मा ने कहा कि संजय राउत को अपनी शिवसेना (यूबीटी) की ज्यादा चिंता होनी चाहिए। खुद कांग्रेस के लोग कह रहे हैं कि संजय राउत ही हैं जिन्होंने कांग्रेस और शिवसेना दोनों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है। उनके बयानों को गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है। महायुति एकजुट है, हमने एक साथ चुनाव लड़ा और अगले 5 वर्षों तक एकजुट होकर महाराष्ट्र पर शासन करेंगे। संयोग से, इस बात पर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है कि क्या भाजपा मुख्य रूप से जातिगत कारणों से देवेन्द्र फड़णवीस को मुख्यमंत्री बनाने का इरादा रखती है। सूत्रों के मुताबिक, फड़णवीस मुख्यमंत्री पद के लिए भाजपा की पसंद हैं और उनके 2 दिसंबर को शपथ लेने की उम्मीद है।

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