बीते दिन यानी मंगलवार को सपा के राष्ट्रीय महासचिव पद से स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस्तीफा दे दिया। अपने त्यागपत्र में उन्होंने सपा में उनके साथ भेदभाव का ज़िक्र किया है। उनके अचानक दिए इस इस्तीफे को लेकर सुभासपा के अध्यक्ष ओपी राजभर ने तंज कसते हुए कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य को इस्तीफा देना ही था तो अपने एमएलसी पद से देते। यह कदम उनका और सपा का ड्रामा है। और यदि वह ड्रामा नहीं कर रहे हैं तो उन्हें इसी समय एमएलसी पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
सुभासपा के मुखिया ओपी राजभर ने स्वामी प्रसाद मौर्य पर आरोप लगाते हुए कहा कि जनता की आंखों में धूल झोंकने के लिए उन्होंने इस्तीफे का ड्रामा किया है। बता दें, मंगलवार देर शाम स्वामी प्रसाद मौर्य ने समजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को चिट्ठी लिखकर राष्ट्रीय महासचिव के पद से इस्तीफा दे दिया। जानकारी के अनुसार, स्वामी प्रसाद मौर्य राज्यसभा चुनाव में पीडीए की अनदेखी से नाराज चल रहे थें। ओपी राजभर ने उनके इस्तीफे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आखिर स्वामी प्रसाद मौर्य, सपा के दम पर ही एमएलसी बने हैं तो फिर उन्होंने यह पद क्यों नहीं छोड़ा। संगठन के पद से इस्तीफा दे दिया। संगठन में तो उनकी कभी भी वापसी हो सकती है। उनका इस्तीफे का यह कदम सिर्फ एक नौटंकी है।
राजभर ने आगे कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने यदि एमएलसी पद से इस्तीफा दिया होता तो यह जरूर स्वीकार हो जाता। उन्होंने कहा कि स्वामी प्रसाद अभी तक जो भी बोल रहे थे वह अखिलेश यादव के इशारों पर बोल रहे थे। इस बात का प्रमाण यह है कि स्वामी प्रसाद के किसी भी बयान पर सपा प्रमुख ने आज तक कोई एक्शन नहीं लिया। सपा दफ्तर में शिव पूजन करने के दौरान ड्रामे के तहत उनका इस्तीफा दिलवाया गया है।
वहीँ, राष्ट्रीय महासचिव पद से अपने इस्तीफे के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने बयान देते हुए कहा कि कुछ छुटभैया नेता आए दिन मेरे बयानों पर अनाप शनाप बोलते हैं। उन्होंने आगे कहा कि इस मामले में अखिलेश यादव को मौखिक रूप से अवगत कराया था और इसी बात से नाराज होते हुए उन्होंने इस्तीफा दिया है। मीडिया ने जब स्वामी प्रसाद मौर्य से यह सवाल किया कि क्या आप पार्टी छोड़ेंगे? इस पर जवाब देते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि अभी गेंद राष्ट्रीय अध्यक्ष के पाले में हैं अब आगे की जिम्मेदारी उनकी है। उन्हीं को तय करना है। साथ ही उन्होंने कहा कि उनके इस्तीफे का समाजवादी पार्टी के दफ्तर पर हुई पूजा से कोई सम्बन्ध नहीं है।