ओडिशा के बालासोर जिले में ट्रिपल ट्रेन हादसे में 275 लोगों की जान चली गई थी। जबकि 1000 से ज्यादा यात्री घायल हो गए थे। इस घटना में बचे लोग शारीरिक चोटों से उबर रहे हैं। लेकिन कटक के SCB मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भर्ती 105 मरीजों में से करीब 40 में पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) की प्रवृति दिख रही है। इस बारे में डॉक्टर्स ने जानकारी दी है। इन लोगों की आंखों के सामने आज भी भयावह मंजर आ जाता है। दुर्घटना का सपना आने से नींद टूट जाती है। इन सभी मरीजों की काउंसिलिंग शुरू हो गई है। परिजनों की मौजूदगी में विशेषज्ञ मरीजों के डर को दूर करने की कोशिश कर रहे है।
क्लीनिकल साइकोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जशोबंता महापात्र ने बताया कि हादसे में घायल हुए लोगों की मानसिक स्थिति को देखते हुए विशेषज्ञ की मदद ली जा रही है। अस्पताल में भर्ती इन सभी मरीजों की काउंसिलिंग शुरू हो गई है। डॉ. महापात्रा ने कहा कि इस तरह की दुर्घटना की वजह से जिंदा बचे लोगों के दिमाग पर गंभीर प्रभाव पड़ा है।
नैदानिक मनोविज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ जसबंत महापात्रा ने बताया कि कई घायल व्यक्ति गंभीर रूप से तनावग्रस्त, भयभीत और कभी-कभी घबराए हुए देखे गए। अस्पताल ने इन घायलों की काउंसलिंग शुरू कर दी है। उनके परिवार के सदस्यों के साथ उनसे बात कर रहे हैं।
डॉ. महापात्रा ने कहा कि अस्पताल ने बचे लोगों की काउंसलिंग के लिए चार टीम का गठन किया है। सभी टीम में एक मनोचिकित्सक, एक मनोवैज्ञानिक, एक सामाजिक कार्यकर्ता और रोगी के परिवार के एक या दो सदस्य शामिल किया गया है।
सर्जरी विभाग की एक नर्स ने बताया कि घायलों को ठीक से नींद नहीं आ पा रही हैं। इन लोगों की आंखों के सामने आज भी भयावह मंजर आ जाता है। रेल हादसे का सपना आने से नींद टूट जाती है। एक युवक ने अपने करीबी दोस्त को खो दिया है। वो अक्सर नींद में अपने दोस्त का नाम पुकारता है और जग जाता है। नर्स ने बताया कि सभी मरीजों की लगातार निगरानी की जा रही है।