ज्ञानवापी परिसर में चल रहे एएसआई के सर्वे के पांचवें दिन तहखाने से साक्ष्य जुटाए गए। सर्वे के लिए डिफरेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (डीजीपीएस) और ग्लोबल नेविगेशन सैटलाइट सिस्टम (जीएनएनएस) सहित ग्राउंड पैनिट्रेटिंग रडार (जीपीआर) का प्रयोग किया गया। इसमें तहखाने और उसके नीचे की संरचना की जानकारी सामने आई है। बुधवार से आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों सर्वे में शामिल हो सकते हैं।
एएसआई विशेषज्ञों ने मंगलवार को गुंबदों और उसके नीचे के मुख्य हॉल के निर्माण के कालखंड और इस्तेमाल सामग्री का पता लगाने के लिए बाकी जांच को पूरा किया। दीवार और गुंबद के निर्माण की जांच के लिए डायल टेस्ट इंडीकेटर लगाया गया। इसके जरिए निर्माण की एकरूपता और सतह का मिलान किया गया। गुंबदों के अंदर और पश्चिमी दीवारों पर बनी कलाकृति, धार्मिक चिह्नों और बनावट की जांच के लिए कॉबिनेशन सेंट वर्नियर प्रॉजेक्टर मशीन का उपयोग किया गया। इससे मिले आंकड़ों को टोपोग्राफी शीट पर उतारा गया। जमीन के ऊपरी सतह की जांच पूरी हो जाने से अब इमारत की नींव का इतिहास खंगाला जाएगा।
एएसआई की सर्वे टीम ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारी जेम्स प्रिंसेप द्वारा 1832 में तैयार किए गए आदि विश्वेश्वर मंदिर के नक्शे के आधार पर तीन गुंबद और उनके नीचे मुख्य हॉल, तहखाने का सर्वे कर रहा है।