मध्य प्रदेश के धार स्थित भोजशाला मामले में हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने बड़ा फैसला दिया है। ज्ञानवापी मामले की तर्ज पर कोर्ट ने भोजशाला का आर्कियोलॉजिकल सर्वे (एएसआई) का आदेश दे दिया है। देवी सरस्वती मंदिर भोजशाला के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने हाईकोर्ट में आवेदन दिया था। जिस पर उच्च न्यायालय ने एएसआई को वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया। दरअसल मां सरस्वती मंदिर भोजशाला है जिसे सन 1034 में राजा भोज ने संस्कृत की पढ़ाई के लिए बनवाया था लेकिन बाद में मुगल आक्रांताओं ने उसे तोड़ दिया था। भोजशाला के लिए वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने हाईकोर्ट में आवेदन दिया था। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने फरवरी में फैसला सुरक्षि‍त रख लिया था। अब उच्च न्यायालय ने एएसआई को वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया है।

हिंदू फ्रंट फार जस्टिस की ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मांग की गई थी कि मुसलमानों को भोजशाला में नमाज पढ़ने से रोका जाए और हिंदुओं को नियमित पूजा का अधिकार दिया जाए। ASI द्वारा पहले हुई सर्वे किया गया था। इसी बीच एडवोकेट विष्णु शंकर जैन के द्वारा बहस की गई थी और अपनी बात रखी थी। उन्ही बातों को ध्यान में रखते हुए हाई कोर्ट ने आज फैसला दिया है जिसमें कहा गया है कि 5 सदस्यों की टीम द्वारा सर्वे किया जाएगा। साथ ही 6 हफ्ते में पूरे मामले की रिपोर्ट प्रस्तुत करे जिससे यह तय हो पाएगा कि यह असलियत में है क्या इसकी अगली सुनवाई अप्रैल में फिर से होगी। यह याचिका 2022 में लगी थी इसके साथ ही 4 याचिका और जुड़ी हुई है और अलग अलग मामलों को लेकर है। अब सबकी सुनवाई अप्रैल महीने में एक साथ होगी।

आपको बता दे यह भोजशाला इंदौर से 60 किलोमीटर दूर धार में है। इसका इतिहास यह रहा है कि इस सरस्वती मंदिर को राजा भोज ने बनवाया था फिर यहां मंदिर तोड़ कर मस्जिद बनाई गई थी। इस मामले में कई सालों से 7 से 8 याचिका कोर्ट में लग चुकी है। इस भोजशाला का इतिहास बड़ा पुराना है। इसे इसके लिए कई सारे आंदोलन हुए है। कई लोगों को जेल है। कई लोगों पर मुकदमें भी दर्ज हुए है और आज जिसमें फैसला दिया गया है। वह हिंदू फ्रंट फार जस्टिस की और से दायर याचिका पर फैसला दिया गया है।

 

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