इस सप्ताह के शुरू में जी20 बैठक के प्रतिनिधियों के लिए 122 साल पुराने उज्जयंत पैलेस के दरबार हॉल में रात्रिभोज आयोजित किया गया। अब कार्यक्रम को लेकर त्रिपुरा सरकार की तीखी आलोचना हो रही है। उज्जयंत पैलेस कभी त्रिपुरा के तत्कालीन माणिक्य राजवंश की सीट हुआ करता था। 2013 में इसे संग्रहालय में बदल दिया गया।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, 3 अप्रैल को उज्जयंत पैलेस के दरबार हॉल में कार्यक्रमों में भाग लेने वाले विभिन्न G20 देशों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, NITI Aayog के 75 प्रतिनिधियों के लिए रात्रिभोज का आयोजन किया गया था। इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (INTACH) के त्रिपुरा चैप्टर के रॉयल वंशज और संयोजक, एमके प्रज्ञा देब बर्मन ने कार्यक्रम स्थल पर रात्रिभोज की मेजबानी की निंदा करते हुए कहा कि दरबार हॉल केवल एक कमरा नहीं है, बल्कि एक ऐतिहासिक और पवित्र स्थान है।

उन्होंने कहा, “दरबार हॉल का बहुत सम्मान है और हमारे राज्य में 122 वर्षों से सभी के द्वारा इसका सम्मान किया जाता रहा है। इसका इस्तेमाल त्रिपुरा के शासकों के राज्याभिषेक के लिए किया गया था जो धार्मिक (कार्यक्रम) थे। इसके अलावा महत्वपूर्ण, आधिकारिक उद्देश्यों के लिए भी इसका इस्तेमाल किया गया था लेकिन कभी मनोरंजन या भोजन के लिए इसका इस्तेमाल नहीं करते थे।” सोमवार से शुरू हुए दो दिवसीय कार्यक्रम में चीन, अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और ब्राजील सहित 12 जी-20 सदस्यों के प्रतिनिधियों सहित 150 प्रतिनिधियों ने इसमें भाग लिया।

देब बर्मन ने कहा कि जब 2013 में राज्य बहुसांस्कृतिक संग्रहालय बनने से पहले, उज्जयंत पैलेस को अतीत में राज्य विधानसभा भवन के रूप में इस्तेमाल किया गया था, तब भी इसका इस्तेमाल विधानसभा अध्यक्ष द्वारा आधिकारिक उद्देश्यों के लिए किया जाता था। उन्होंने कहा, “दुर्भाग्य से, राज्य सरकार द्वारा अब दरबार हॉल की पहचान को धूमिल किया जा रहा है और इसने हमें चौंका दिया है। एक ओर, वे हमारी सदियों पुरानी भारतीय संस्कृति, दूरदर्शी महाराजाओं और हमारे समृद्ध ऐतिहासिक अतीत का सम्मान करने की बात करते हैं लेकिन दूसरी ओर पार्टियों का आयोजन किया जाता है, इस तरह के पाखंड को पहचानना चाहिए और लोगों द्वारा इसकी निंदा की जानी चाहिए।”

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