कोर्ट ने कहा, एक व्यस्त शैक्षणिक वर्ष के बाद छात्रों को एक ब्रेक की जरूरत होती है, इसीलिए छात्रों को गर्मी की छुट्टी दी जाती है। छात्रों को छुट्टियों का आनंद लेना चाहिए और अगले शैक्षणिक वर्ष के लिए तैयार करना चाहिए।
कोर्ट ने कहा हॉलीडे छात्रों को पढ़ाई पर फोकस करने में मदद करता है। वे एक्ट्राकरीक्यूलम एक्टिवीटीज में अपनी अन्य महत्वाकांक्षाओं तक पहुंच सकते हैं, जिन्हें वे आमतौर पर स्कूल वर्ष के दौरान पूरा करने में सक्षम नहीं होते हैं।
इसमें आगे कहा गया, बच्चों को अपने परिवार और दोस्तों के साथ खाली समय का आनंद लेने की जरूरत है, खासकर जब एक व्यस्त शैक्षणिक वर्ष उनका इंतजार कर रहा हो।
छात्रों को अपने परिजनों के साथ समय बिताने और मानसिक आराम के लिए समर वेकेशन जरुरी है। केवल स्कूली किताबों पर ध्यान देना ही बच्चों के लिए पर्याप्त नहीं है। उन्हें गाने दें, उन्हें नाचने दें, उन्हें उनका पसंदीदा खाना खाने दें, उन्हें उनके पसंदीदा टीवी प्रोग्राम का आनंद लेने दें, उन्हें क्रिकेट, फुटबॉल या पसंदीदा खेल खेलने दें और उन्हें अपने रिश्तेदारों के साथ यात्राओं का आनंद लेने दें।
न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी.वी. कुन्हीकृष्णन ने कहा, एक व्यस्त शैक्षणिक वर्ष आ रहा है। उससे पहले छात्र समुदाय के लिए एक ब्रेक जरूरी है। 10वीं क्लास और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के छात्रों को निश्चित रूप से अपने जीवन में अपने निर्णायक शैक्षणिक वर्ष में प्रवेश करने से पहले एक ब्रेक की जरूरत होती है।
सीबीएसई स्कूलों में वेकेशन क्लासेस करने की अनुमति देने के लिए सीबीएसई के क्षेत्रीय निदेशक को अंतरिम निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर यह आदेश पारित किया गया।
राज्य के सामान्य शिक्षा निदेशक (डीजीई) ने वेकेशन क्लासेस पर आपत्ति जताते हुए एक सर्कुलर जारी किया था।
सीबीएसई स्कूल प्रबंधन संघ ने सर्कुलर के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया।
न्यायमूर्ति कुन्हीकृष्णन ने आदेश दिया कि वह वर्तमान याचिका को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखे ताकि वह इसे एक उपयुक्त पीठ को सौंप सके।
उन्होंने पहले के अंतरिम आदेश को आगे बढ़ाने से भी इनकार कर दिया।