चुनाव आयोग ने आज हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के लिए विधानसभा चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा की। जम्मू-कश्मीर में 5 चरणों में चुनाव होंगे। वहीं हरियाणा में एक चरण में चुनाव संपन्न होंगे। दोनों ही राज्यों के नतीजे एक ही दिन 29 सितंबर को आएंगे। जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में चुनाव होंगे। पहला चरण 18 सितंबर को होगा। जबकि दूसरा चरण 25 सितंबर और तीसरा 1 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे। हरियाणा में एक चरण में 1 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे। दोनों ही राज्यों के नतीजे 4 अक्टूबर को आएंगे। हरियाणा में विधानसभा चुनाव 90 सीटों के लिए होंगे, जिनमें से 73 सामान्य और 17 अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित हैं।
इस दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के साथ दोनों चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और डॉ. संधू भी मौजूद रहे। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने सबसे पहले कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव विश्व स्तर पर सबसे बड़ी चुनाव प्रक्रिया थी। यह सफलतापूर्वक और शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुई। इसने पूरे लोकतांत्रिक विश्व के लिए एक बहुत मजबूत लोकतांत्रिक धरातल तैयार किया, यह बिना किसी हिंसा के शांतिपूर्ण रहा और पूरे देश ने चुनाव का उत्सव मनाया। हमने कई रिकॉर्ड भी बनाए। पहली बार दुनिया में सबसे ज्यादा मतदान हुआ।
लोकसभा चुनाव के दौरान जम्मू-कश्मीर में मतदाता मतदान का हवाला देते हुए कुमार ने कहा कि घाटी एक नए शिखर पर पहुंच गई है, जहां मतदान में भागीदारी में 30 अंकों की बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने आगे बताया कि बताया कि जम्मू-कश्मीर में 90 विधानसभा सीटों के लिए मतदान होगा, जिनमें से 74 सामान्य और 16 आरक्षित (एसटी-9, एससी-7) हैं। इसके साथ ही उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में 87 लाख से ज़्यादा मतदाता हिस्सा लेंगे। अंतिम मतदाता सूची 20 अगस्त को प्रकाशित की जाएगी।
उन्होंने बताया कि हमने हाल ही में जम्मू-कश्मीर और हरियाणा का दौरा किया और वहां चुनाव की तैयारियों का जायजा लिया। जम्मू-कश्मीर को लेकर उन्होंने कहा कि लोगों में जबरदस्त उत्साह देखा गया। वे चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा लेना चाहते थे। लोग चाहते हैं कि वहां जल्द से जल्द चुनाव कराए जाएं। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान जम्मू-कश्मीर में पोलिंग बूथ पर लगी लंबी कतारें इस बात का सबूत हैं कि लोग न केवल बदलाव चाहते हैं बल्कि उस बदलाव का हिस्सा बनकर अपनी आवाज भी बुलंद करना चाहते हैं। उम्मीद और लोकतंत्र की यह झलक दिखाती है कि लोग तस्वीर बदलना चाहते हैं। वे अपनी किस्मत खुद लिखना चाहते हैं। जम्मू-कश्मीर के लोगों ने लोकसभा चुनाव में बुलेट के बजाय बैलेट को चुना।