देश के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी पिछले सप्ताह वीडियाे में छेड़छाड़ और ट्रोल के शिकार बन गए। यहां न्यायिक अधिकारियों के द्विवार्षिक सम्मेलन में सीजेआई ने खुद इसका खुलासा किया। चुनावी बॉन्ड मामले में सुनवाई के दौरान सीजेआई का बेंच से कथित तौर पर उठकर जाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। सीजेआई ने कहा कि सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल करने के लिए लाइव स्ट्रीमिंग के वीडियो से छेड़छाड़ की गई। पीठ में हल्के दर्द के कारण उन्होंने कुर्सी पर अपनी कोहनियां रख दीं और उसकी दिशा बदल दी। वीडियो में छेड़छाड़ कर उसके बाद के हिस्से को हटा दिया गया और टिप्पणियां की गईं कि वह इतने अहंकारी हैं कि बहस के बीच में उठकर अदालत से बाहर चले गए।
उन्होंंने कहा कि 24 साल न्याय कठिन हो सकता है। मैंने अदालत नहीं छोड़ी, मैंने कुर्सी पर अपनी स्थिति बदल ली। जनता की नजर में किसी भी जज की असली परीक्षा उसके काम और न्याय चाहने वाले पक्षकारों के विश्वास में निहित है। मुझे विश्वास है कि हमारे कंधे काफी चौड़े हैं और हमारे काम पर आम नागरिकों का पूरा भरोसा है।
सीजेआइ ने कन्नड़ नाटककार शिवराम कारंत को उद्धरित किया कि पेड़ पर बैठे पक्षी को गिरने का कोई डर नहीं होता, क्योंकि पक्षी शाखा पर नहीं अपने पंखों पर भरोसा करता है। उन्होंने न्यायिक अधिकारियाें से कहा कि वे इन शब्दों को ध्यान में रखें और अपनी क्षमताओं पर भरोसा रखते हुए साहसिक निर्णय देने में संकोच न करें।