9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया। कानूनी रूप से राम मंदिर का निर्माण प्रशस्त होने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले के उन महत्वपूर्ण पहलुओं पर भी ध्यान देना जरूरी है, जिससे साबित होता है कि सारी चीजें ऐतिहासिक साक्ष्यों के साथ सार्वजनिक रूप से उपलब्ध रहने के बावजूद मामले को लटकाने,अटकाने और भटकाने का निंदित प्रयास किया जा रहा था।
इसे संयोग माना जाए कि श्रीराम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से ठीक एक वर्ष पूर्व, नवंबर 2018 को दीपावली के उपलक्ष्य में, इन पंक्तियों के लेखक अपने 4 सिख परिचितों के साथ, जो देश के 5 शहरों-हैदराबाद, सूरत, कानपुर, अमृतसर और दिल्ली से जुड़े थे- गुरुद्वारा श्री ब्रह्मकुंड साहब में अखंड पाठ कराने और अरदास करने अयोध्या पहुंचे थे।
अरदास थी कि श्रीराम जन्मभूमि का मसला हल हो और जल्द से जल्द वहां प्रभु श्रीराम का भव्य मंदिर बने। हमारी अरदास वाहेगुरु जी ने सुन ली और ठीक एक साल के भीतर 9 नवंबर 2019 को श्रीराम जन्मभूमि के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया। यह भी एक संयोग माना जाए या फिर प्रभु राम की कृपा कि जिस दिन राम मंदिर पर फैसला आया, उसी दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कर कमलों द्वारा करतारपुर साहिब कॉरिडोर का उद्घाटन भी हुआ। बीते समय में, श्री करतारपुर साहिब गलियारे के रास्ते में उन शक्तियों द्वारा ही अदृश्य रुकावटें खड़ी की जा रही थीं। गलियारे के पक्ष की बात करती आई थीं परन्तु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने दोनों देशों के मध्य चल रहे तनाव व कई अन्य असुखद पक्षों को दिलेरी से भुला कर सिख कौम के आजादी के समय उनके मनों के भीतर अपने पावन गुरुधामों के खुले दर्शन- दीदार की इच्छा पूर्ण करने को प्राथमिकता दी।
सिख कौम 70 सालों से यह अरदास करती रही कि जो गुरुद्वारे एवं धाम भारत के बंटवारे के बाद पाकिस्तान में रह गए, उनके खुले दर्शन, दीदार और सेवा-सम्भाल सिखों को मिले। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आर.पी. सिंह (राष्ट्रीय प्रवक्ता, भाजपा) जी ने पाकिस्तान के भारत विरोधी रवैये के बावजूद करतारपुर गुरुद्वारे के लिए कॉरिडोर बनवाया। भारत ने जीरो प्वाइंट, इंटरनैशनल बाऊंड्री पर डेरा बाबा नानक में श्री करतारपुर साहिब कॉरिडोर के संचालन के तौर-तरीकों पर पाकिस्तान के साथ 24 अक्तूबर 2019 को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। 9 नवम्बर, 2019 को प्रधानमंत्री मोदी जी ने स्वयं पाकिस्तान जाकर श्री करतारपुर साहिब गलियारे का उद्घाटन किया।
अब बात करें श्रीराम जन्मभूमि पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले की। अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले में गुरु नानक देव जी का भी कई बार जिक्र है। अदालत के 1045 पन्नों के फैसले में एक गवाह के हवाले से यह कहा गया है कि सिखों के प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव जी अयोध्या आए थे और उन्होंने भगवान राम के दर्शन भी किए थे। अयोध्या फैसले की जो कॉपी है, उसमें पृष्ठ संख्या 991-995 में सिखों के प्रथम गुरु का जिक्र किया गया है। एक तरह से यह प्रमुख आधार रहा, जिसका संज्ञान लेते हुए अदालत ने यह माना कि बाबर के आक्रमण से वर्षों पहले भो अयोध्या एक तीर्थस्थल था और वहां पूजा-पाठ लगातार होते रहते थे। अदालत के समक्ष प्रस्तुत ‘ आदि साखी’, ‘पुरातन जन्म साखी’, ‘पोढ़ी जन्म साखी’ और ‘गुरु नानक वंश प्रकाश’ जैसी पवित्र पुस्तकों (गुरु नानक देव की जीवनी) के अनुसार गुरु नानक देव वर्ष 1507 (विक्रम संवत 1564) में भाद्रपद पूर्णिमा के दिन तीर्थाटन के लिए निकले थे। उससे पहले उन्हें भगवान श्रीराम का साक्षात्कार हो चुका था। उसके बाद वह दिल्ली से हरिद्वार और सुल्तानपुर होते हुए अयोध्या पहुंचे। उनका ये तीर्थाटन 3-4 सालों तक चला। वह 1510-11 (विक्रम संवत 1567-68) में अयोध्या पहुंचे। सुप्रीम कोर्ट ने इस ओर ध्यान दिलाया है कि जब उनका यह दौरा हुआ, तब तक बाबर ने भारत पर आक्रमण नहीं किया था।
इन्हीं साक्ष्यों के आधार पर यह भी पता चला कि बाद के दिनों में गुरु तेग बहादुर जी और गुरु गोबिंद सिंह जी भी भगवान श्रीराम के दर्शन करने अयोध्या पहुंचे थे। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि गुरु नानक देव जी द्वारा वहां जाकर दर्शन करना हिन्दुओं की आस्था और विश्वास पर मुहर लगाता है। कोर्ट ने यह भी माना कि बाबर के आक्रमण से पहले के कई धार्मिक दस्तावेज मौजूद यहां एक और महत्वपूर्ण तथ्य निहंग सिखों को लेकर है। नवम्बर 30, 1858 को अवध के थानेदार ने एक एफ.आई.आर. दर्ज की थी, जिसमें उसने कहा था कि 25 निहंग सिख राम जन्मभूमि में घुस आए और उन्होंने वहां पर हवन किया।
इन सिखों ने वहां की दीवारों पर ‘राम-राम’ लिखा और कई धार्मिक प्रक्रियाएं पूरी करते हुए पूजा-पाठ भी की। इन साक्ष्यों से स्पष्ट होता है कि राम जन्मभूमि आंदोलन से पूरा भारत जुड़ा हुआ था। निहंग सिखों की गाथा गुरु गोबिंद सिंह जी और उनके पुत्रों के बलिदान तक जाती है। अयोध्या कई धर्मों की पुण्य भूमि बन चुकी है। हिन्दुओं के अलावा जैन, बौद्ध और सिखों की यह पवित्र भूमि है। अयोध्या में मौजूद गुरुद्वारा श्री ब्रह्मकुंड साहिब के दर्शन करने के लिए देश और दुनिया के कोने-कोने से सिख श्रद्धालु आते हैं। ऐसी मान्यता है कि सिख समुदाय के पहले गुरु नानक देव जी, 9वें गुरु तेग बहादुर जी और 10वें गुरु गोबिंद सिंह जी ने यहां गुरुद्वारा श्री ब्रह्मकुंड साहिब में ध्यान किया था। सिख गुरुओं की प्रभु राम और श्रीकृष्ण पर प्रगाढ़ आस्था इस बात से स्पष्ट होती है कि सिखों के पवित्र धर्मग्रंथ श्री गुरु ग्रंथ साहिब में राम शब्द का प्रयोग 2,533 बार किया गया है। सबसे अधिक प्रयोग किया जाने वाला शब्द ‘हरि’ है, जिसका प्रयोग 8,344 बार किया गया है। ‘गोविंद’ शब्द का प्रयोग 475 बार, जबकि ‘ मुरारी’ शब्द का प्रयोग 97 बार किया गया है।