उच्चतम न्यायालय ने एक आपराधिक मामले में गैंगस्टर-राजनेता मुख्तार अंसारी के साथी संजीव माहेश्वरी जीवा की पत्नी की अग्रिम जमानत याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया। जीवा की हाल ही में लखनऊ की एक अदालत के परिसर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि जीवा का अंतिम संस्कार हो चुका है और इस याचिका पर तत्काल सुनवाई की जरूरत नहीं है।
पीठ ने कहा कि बीते कल इस आधार पर याचिका का उल्लेख किया गया था कि याचिकाकर्ता पायल माहेश्वरी के पति का अंतिम संस्कार किया जाना है। याचिकाकर्ता ने अंतिम संस्कार में शामिल होने को लेकर किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से सुरक्षा मांगी थी। पीठ ने कहा कि उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त महाधिवक्ता ने हमें बताया कि अंतिम संस्कार हो चुका है, याचिकाकर्ता इसमें शामिल नहीं हुई तथा अंतिम संस्कार उसके बेटे ने किया। एएजी के मुताबिक, पुलिस ने सुनिश्चित किया था कि अगर याचिकाकर्ता अंतिम संस्कार में शामिल होती तो उसके खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाता। लिहाजा हमें इस मामले को अवकाश के दौरान सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने की कोई तात्कालिकता नहीं दिखती।
पायल माहेश्वरी के वकील ने पीठ को बताया था कि जीवा की बुधवार को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी और उन्होंने जीवा के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए पायल की गिरफ्तारी से सुरक्षा मांगी थी। उत्तर प्रदेश की अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने अदालत को आश्वासन दिया था कि सरकार पायल माहेश्वरी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगी, जिन्होंने गैंगस्टर अधिनियम मामले में गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा और अपने पति के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए जमानत मांगी थी। लखनऊ जेल में आजीवन कारावास की सजा काटने वाले जीवा (48) की सात जून को उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी जब उसे एक मामले की सुनवाई के लिए लखनऊ की अदालत लाया गया था।