गुजरात हाईकोर्ट ने आरटीआई एवं पर्यावरण कार्यकर्ता अमित जेठवा की 14 साल पूर्व हुई हत्या के मामले में पूर्व भाजपा सांसद दीनू सोलंकी व उनके भतीजे सहित सात जनों को बरी कर दिया। जस्टिस एएस सुपेहिया और जस्टिस विमल के व्यास की बेंच ने अपने फैसले में पुलिस जांच और ट्रायल कोर्ट पर तीखी टिप्पणियां करते हुए कहा कि इस मामले में शुरू से ही जांच दिखावा प्रतीत होती है और यह प्रयास किया गया कि सच्चाई हमेशा के लिए दफन कर दी जाए। सीबीआइ की विशेष अदालत ने अभियुक्तों को हत्या का दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
उल्लेखनीय है कि जेठवा ने गिर अभयारण्य में अवैध खनन को लेकर गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दायर थी। इसमें तत्कालीन सांसद दीनू सोलंकी और उनके चहेतों पर अवैध गतिविधि में शामिल होने का आरोप लगाया था। जुलाई 2010 में हाईकोर्ट गेट के बाहर मोटरसाइकिल पर दो हमलावरों ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी। कोर्ट के आदेश पर 2013 में सीबीआई ने इस मामले की जांच कर चालान पेश किया था।