बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष और सांसद डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह ने आरोप लगाते हुए आज कहा कि केंद्रीय बजट में प्रदेश को बीमारू राज्य की श्रेणी से बाहर निकालने की कोई योजना नहीं है।
डॉ. सिंह ने सोमवार को बयान जारी कर कहा कि केंद्रीय बजट को मीडिया में ऐसे प्रचारित किया गया जैसे बिहार को ही बजट में सब सौगात मिल गई। उन्होंने केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी पर कटाक्ष करते हुए कहा, आप बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री हैं और बिहार के लिए बजट में क्या रहा है इसकी चर्चा होनी चाहिए।” उन्होंने बिहार के बंटवारे के समय को याद करते हुए कहा कि देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने बिहार को हरियाणा और पंजाब बनाने की बात कही थी। बिहार को एक लाख अस्सी हजार करोड़ रुपए के पैकेज की बात कही थी, जो आज तक नहीं मिली।
कांग्रेस सांसद ने कहा कि वित्त मंत्री के वर्ष 2047 के विजन और पांच ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के दावे पर वह भी चाहते हैं कि हमारा देश बने लेकिन जो सामाजिक भिन्नता रहेगी तब तक हमारा राष्ट्र विकसित राष्ट्र के रूप में विश्व पटल पर नहीं आ सकता। प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के आधार पर 1960-61 में बिहार की प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत का 60 प्रतिशत होता था लेकिन वर्तमान में 32 ही ही रह गया है। देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में बिहार का योगदान आठ प्रतिशत था, जो आज नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में चार प्रतिशत रह गया है।
डॉ. सिंह ने कहा कि बिहार में सड़कों पर खर्च की दर 44 रुपया है लेकिन राष्ट्रीय औसत 117 रुपए है। कृषि पर 104 रुपए है और राष्ट्रीय औसत 199 रुपए है। नाबार्ड ने खुद अपने रिपोर्ट में स्वीकारा है कि बिहार में बाकी राज्य की अपेक्षा कृषि ऋण का भुगतान बेहद कम है इसलिए सरकार का विकास का दावा खोखला रह जाता है। नीति आयोग के रिपोटर् को देखा जाएं तो स्वास्थ्य, शिक्षा, औद्योगिकीकरण में हम या तो निचले पायदान पर हैं या अंतिम हैं। बिहार ने लोकसभा में क्रमश: तीन चुनावों में 32, 39 और 30 सांसद दिए लेकिन आज तक बिहार के लिए केवल काम करने का छलावा किया।