मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सुनवाई बुधवार यानी आज (1 मई) को भी जारी रहेगी। इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन द्वारा की जा रही है। मंगलवार को सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष के वकील राहुल सहाय ने दलील दी कि यह वाद पोषणीय है और वाद की गैर पोषणीयता के संबंध में दायर आवेदन पर साक्ष्यों को देखने के बाद ही फैसला किया जा सकता है।

मिली जानकारी के मुताबिक, सहाय ने यह दलील भी दी कि पूजा स्थल कानून, 1991 के प्रावधान इस मामले में लागू नहीं होंगे क्योंकि इस कानून में धार्मिक चरित्र परिभाषित नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि किसी स्थान या ढांचे का धार्मिक चरित्र केवल साक्ष्य से ही निर्धारित किया जा सकता है जिसे दीवानी अदालत द्वारा ही तय किया जा सकता है। हिंदू पक्ष के वकील ने ज्ञानवापी मामले में पारित निर्णय भी का हवाला दिया जिसमें अदालत ने कहा था कि धार्मिक चरित्र एक दीवानी अदालत द्वारा ही तय किया जा सकता है।
बताया जा रहा है कि हिंदू पक्ष की ओर से यह भी कहा गया कि चूंकि वह संपत्ति वक्फ की संपत्ति नहीं है, इसलिए इस अदालत को इस मामले में सुनवाई करने का अधिकार है। हिंदू पक्ष का कहना था कि वह संपत्ति (शाही ईदगाह मस्जिद) एक मंदिर था जिसे बलपूर्वक कब्जे में लेने के बाद वहां नमाज अदा करना शुरू किया गया, लेकिन इस तरह से भूमि का चरित्र नहीं बदला जा सकता।

 

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Verified by MonsterInsights