प्रयागराज। काशी विश्वनाथ ज्योर्तिलिंग में गन्ने के रस से अभिषेक करने के लिए एक अधिवक्ता ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में जनहित में एक याचिका दायर की याचिका को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया और कहा की ये धार्मिक याचिका हैं जनहित याचिका नही।
याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता के खिलाफ़ हाईकोर्ट ने एक लाख का जुर्माना लगाया। अधिवक्ता ने याचिका को वापस करने और एक लाख का जुर्माना भी खत्म करने का कोर्ट से अनुरोध किया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने याचिका कर्ता का अनुरोध स्वीकार करते हुए याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी।
याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता के खिलाफ़ हाईकोर्ट ने एक लाख का जुर्माना लगाया। अधिवक्ता ने याचिका को वापस करने और एक लाख का जुर्माना भी खत्म करने का कोर्ट से अनुरोध किया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने याचिका कर्ता का अनुरोध स्वीकार करते हुए याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी।
चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की डबल बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए याचिका को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट में तर्क दिया कि राज्य और मंदिर अधिकारियों ने भक्तों पर गन्ने का रस डालने से रोक लगा दी है। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि रुद्राभिषेक अनुष्ठान के लिए गन्ने का रस महत्वपूर्ण है। चीफ जस्टिस की कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि आप अनुच्छेद 226 के तहत इस याचिका को कैसे उचित ठहराते हैं। इसके बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर एक लाख जुर्माना लगाने की बात कही। कोर्ट ने वकील से पूछा कि आप बताएं कितनी कीमत दोगे। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा कि कृपया मुझे जनहित याचिका वापस लेने की अनुमति दें और जुर्माने की कोई लागत नहीं लगाई जा सकती।जिसके बाद याचिका को वापस ले लिया गया।