पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद का मानना है कि कांग्रेस अब भी ‘रिमोट कंट्रोल’ से संचालित की जा रही है और साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि ‘‘अनुभवहीन चापलूसों की नयी मंडली” इसका कामकाज संभाल रही है। कांग्रेस के पूर्व नेता ने अपनी पुस्तक ‘आजाद–ऐन ऑटोबायोग्राफी’ के विमोचन से पहले, अपने पूर्व साथी नेताओं के साथ रही समस्याओं पर बात करने से इनकर कर दिया। आजाद ने पिछले साल पार्टी छोड़ दी थी। उन्होंने कहा, ‘‘मैं अतीत में जितना जाता हूं, उतनी ही कड़वाहट सामने आती है और पार्टी से बाहर निकलने के बाद से मैं इसमें नहीं पड़ना चाहता।”
पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा में विपक्ष के नेता रह चुके आजाद ने कहा कि वह जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, संजय गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी का काफी सम्मान करते हैं, लेकिन स्वीकार किया कि राहुल गांधी के साथ उनके राजनीतिक मतभेद हैं। डेमोक्रेटिक प्रोगेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) प्रमुख आजाद ने कहा, ‘‘…एक व्यक्ति के तौर पर, मैं यह नहीं कह रहा कि राहुल गांधी एक खराब व्यक्ति हैं। व्यक्ति के तौर पर वह एक अच्छे इंसान हैं। हमारे कुछ राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं लेकिन वे राजनीतिक मुद्दे हैं, जो मेरे कांग्रेस में रहने के समय उनके साथ थे।”
उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि अब मैं कांग्रेस में नहीं हूं, इसलिए उनके लिए सही और गलत क्या है उस बारे में कहने का मुझे कोई अधिकार नहीं है।” आजाद ने कहा, ‘‘मैं सिर्फ उनके अच्छे स्वास्थ्य और उनके राजनीतिक रूप से सफल होने की कामना कर सकता हूं। आगे कैसे बढ़ना है यह उन पर निर्भर करता है। वह एक अच्छे तैराक हैं और वह जानते हैं कि विषम परिस्थितयों से कैसे बाहर निकलना है। राजनीति, मुश्किल हालात से गुजरने की एक कला है। यहां तक कि अच्छे से अच्छे कैप्टन के पास भी यदि अनुभव नहीं है…तो वह पूरा जहाज डूबा सकता है।”
उन्होंने कहा कि भले ही अभी राहुल गांधी के पास कोई पद नहीं हो, लेकिन हर कोई जानता है कि वह जहाज (कांग्रेस) के कैप्टन हैं। उन्होंने कहा, ‘‘…प्रत्येक व्यक्ति जानता है कि पार्टी में फैसले कौन ले रहा है।” उन्होंने कहा, ‘‘यदि कल (कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे) जी बेंगलुरु में सीडब्ल्यूसी(कांग्रेस कार्य समिति) की बैठक करना चाहेंगे, तो कोई नहीं जाएगा…इसलिए मैं सिर्फ यह कामना करता हूं कि राहुल गांधी जहाज(पार्टी) का परिचालन करें।” अपनी पुस्तक में उन्होंने ऐसे कई दृष्टांतों को रेखांकित किया है, जिनमें राहुल के साथ उनके मतभेद रहे थे, विशेष रूप से अगस्त 2020 में कांग्रेस के 23 नेताओं द्वारा पार्टी की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखे जाने के बाद।
आजाद ने कहा, ‘‘मुझे अब भी हैरानगी होती है कि यदि हम भाजपा समर्थक होते, तो हम संगठन को मजबूत करने की सलाह क्यों देते।” उन्होंने कहा, ‘‘संगठन (कांग्रेस) को मजबूत करने के लिए एक पत्र लिखने की मुझे भारी कीमत चुकानी पड़ी।” उन्होंने दावा किया कि राहुल गांधी के नेतृत्व ने कांग्रेस के सलाहकारी तंत्र को न केवल पूरी तरह से नष्ट करने में भूमिका अदा की बल्कि इसने पार्टी का कामकाज संभालने के लिए अनुभवहीन चापलूसों की एक नयी मंडली को भी बढ़ावा दिया।