समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर रामगोपाल यादव विवादित बयान देकर चर्चा में आ गए हैं। रामगोपाल यादव ने कहा कि भगवान बुद्ध ने जो बौद्ध स्तूप बनावाए थे, उनको शंकराचार्य ने तोड़ दिया था। मुगल शासक औरंगजेब ने जितने मंदिर तोड़े उससे ज्यादा बौद्ध स्तूप शंकराचार्य के शिष्यों ने तोड़े थे।
उन्होंने कहा कि जब हिंदू धर्म में काफी कुरीतियां थीं, जैसे ऊंच-नीच, छुआछूत, भेदभाव, तब भगवान बुद्ध ने एक आंदोलन के रूप में बौद्ध धर्म की स्थापना की थी। आगे यह बौद्ध धर्म इतना लोकप्रिय हुआ कि न केवल हिंदुस्तान बल्कि चीन, श्रीलंका, बर्मा समेत कई देशों में इसका प्रचार- प्रसार हुआ। इन देशों में बड़ी संख्या में आज भी इस धर्म के अनुयायी रहते हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग सामन्तवादी थे, वे लोग हावी हो गए थे। उन्होंने हिंदुस्तान से बौद्ध धर्म को लगभग समाप्त सा कर दिया था। देश में बौद्ध स्तूप जो अनुयायियों द्वारा बनवाये गए थे उन्हें लगभग तोड़ दिया गया।
उन्होंने कहा कि जितने मंदिर औरंगजेब द्वारा तुड़वाये गए उससे 100 गुना ज्यादा बौद्ध स्तूप आदि शंकराचार्य के शिष्यों द्वारा तोड़ दिए गए। बाद में इस कुरीति के खिलाफ बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने आवाज उठाई थी। आज सत्ता में बैठे मौजूदा लोग भी इसी मानसिकता के हैं। उन्होंने कहा कि सत्ता से जुड़े लोग आम जनता के मौलिक अधिकार छीनने की कोशिश कर रहे हैं। संसद में ऐसे कानून बनाए जा रहे हैं जो संविधान की मूल भावनाओं के खिलाफ हैं. इसे हमें ही रोकना होगा। बता दें कि रामगोपाल यादव शनिवार को फिरोजाबाद में थे, जहां वह संत रविदास की जयंती पर उनके अनुयायियों को संबोधित कर रहे थे। गांव निजामपुर गढूमा में आयोजित कार्यक्रम में रामगोपाल यादव ने सबसे पहले भगवान बुद्ध को नमन करते हुए उनके बारे में अपने विचार व्यक्त किए।