डीसीपी सिटी सूरज राय ने बताया कि बोदला रोड पर आगरा निवासी टहल सिंह की 10 हजार वर्ग गज जमीन है। यह जमीन जगदीशपुरा के बैनारा फैक्ट्री के पास होने से बहुत कीमती है। इसी के चलते इसे हड़पने की साजिश रची गई। करोड़ों की जमीन को हड़पने के लिए केयरटेकर ने अपने साथियों के साथ साजिश रची थी। इसमें एक थानाध्यक्ष समेत 3 लोग जेल जा चुके हैं।
मामले में पुलिस की मिलीभगत मिलने पर कमिश्नर जे रवींद्र गौड़ ने इसकी जांच एसआईटी को सौंप दी। एसआईटी पूरे मामले की कड़ियां जोड़ते हुए जांच आगे बढ़ा रही है। इसी कड़ी में टहल सिंह की फर्जी बहू बनकर जमीन अपने नाम ट्रांसफर कराने वाली महिला पकड़ में आई। फिलहाल एसआईटी ने 6 लोगों को अरेस्ट कर लिया है। टीम अभी अन्य लोगों की जांच कर रही है
डीसीपी सिटी सूरज राय ने बताया कि पुलिस जांच में सामने आया था कि 10 हजार वर्ग गज जमीन टहल सिंह की थी। टहल सिंह इस समय पंजाब के लुधियाना में रहते हैं। आगरा में उनकी जमीन के रेट बढ़ते गए और कोई वारिसाना हक जताने वाला नहीं था। यहीं से जगदीशपुरा कांड की नींव रखी गई। जमीन पर कई माननीय और बिल्डरों की नजर थी। इस जमीन की कीमत मौजूदा समय में 50 करोड़ रुपये है।
इसी बीच आरोपियों ने जमीन कब्जाने के लिए टहल का फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र बनवा लिया और टहल सिंह के साले जसबीर ने खुद को उनका बेटा बताकर वारिसान जारी करा लिया। इसके बाद जसबीर का भी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा लिया गया और उनकी फर्जी पत्नी उमा देवी का नाम तहसील के दस्तावेजों में दर्ज कराया गया। उमा देवी ने सदर तहसील में बताया कि उनके ससुर टहल सिंह और पति जसवीर की मौत हो चुकी है। जबकि टहल सिंह जिंदा हैं। वे लुधियाना पंजाब में रह रहे थे। पिछले दिनों टहल सिंह ने आगरा आकर अपने बयान दर्ज कराए, इसके बाद मामला ही बदल गया।
पंजाब के लुधियाना से आगरा पहुंचे टहल सिंह ने पुलिस को दिए बयान में बताया कि वह जिंदा हैं और बोदला मार्ग पर बैनारा फैक्ट्री के पास उनकी जमीन है। उन्होंने यह भी कहा कि वे उमा देवी को नहीं जानते हैं। जसवीर सिंह उनका पुत्र नहीं, बल्कि उनकी पत्नी का भाई था। पुलिस ने मंगलवार को उमा देवी को गिरफ्तार कर लिया। उमा देवी को पुलिस ने जेल भेज दिया। उमा देवी आगरा के कालिंदी विहार में रहती थी। उसे इस साजिश में मोहित कुशवाह ने शामिल किया था। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कराने वाली उमा देवी के साथ ही मोहित कुशवाह, धर्मेंद्र, राजू शंकरिया कुशवाह और रवि कुशवाह को जेल भेजा है।
बीते मंगलवार को एसआईटी ने काफी देर तक इन सभी 6 लोगों से थाना जगदीशपुरा बुलाकर पूछताछ की। टहल सिंह की फर्जी बनी बहू उमा देवी ने बताया कि उसका तो असली नाम यही है। वह काशीराम आवास योजना टेढ़ी बगिया के पास ट्रांसयमुना कालोनी में रहती है। उसने बताया कि धर्मेंद्र और राजू ने ये सारी योजना बनाई थी। उसके बाद किशन मुरारी ने उमा देवी को इस साजिश में शामिल कर प्लान बनाया। तय हुआ कि टहल सिंह का नाम कागजों में चढ़ा है। इसका फायदा उठा लिया जाए।
इसी के तहत पहले फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनाया गया। फर्जी वारिसान शपथपत्र व झूठे बयान दर्ज कर बनवाया गया। उसके बाद उमा देवी को वारिसान के रूप में जसबीर सिंह की पत्नी दिखाकर तहसील में नाम दर्ज कराने के लिए उसकी तरफ से शपथपत्र व आवेदन दाखिल कराया गया। इसमें रवि आदि की गवाही लगाई गई। इसके आधार पर उमा का नाम तहसील में चढ़ गया।
डीसीपी सिटी सूरज राय ने बताया कि जगदीशपुरा के बैनारा फैक्ट्री के पास 10 हजार वर्ग गज जमीन कब्जाने के लिए साजिश रची गई थी। इस दौरान फैक्ट्री में रह रहे रवि कुशवाहा और उसके परिजन रोड़ा बन गए। इसपर उन्हें पुलिस की मदद से फर्जी मुकदमे में जेल भेज दिया गया और जमीन पर कब्जा कर लिया गया। इस मामले में खुद को फैक्ट्री की मालकिन बताते हुए उमा देवी ने जगदीशपुरा के तत्कालीन एसओ जितेंद्र कुमार, बिल्डर कमल चौधरी उनके बेटे धीरू चौधरी सहित 18 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।
डीसीपी सिटी सूरज राय ने बताया कि आरोपियों से पूछताछ में पता चला कि उमा देवी के पति का नाम पदम चंद है न कि जसवीर। पदम चंद की मृत्यु कई साल पहले हो गई थी। वह तीन बच्चों के साथ रहती है। उसकी एक बेटी शादीशुदा है। वह लालच में आकर षड्यंत्र में शामिल हुई। जांच में सामने आया कि धर्मेंद्र और राजू के साथ मिलकर किशन मुरारी उर्फ मोहित कुशवाहा ने साजिश रची थी। मोहित उमा देवी को जानता था। एक-दो बार पहले से मुलाकात थी। उसने उमा देवी को लालच दिया कि जमीन बिकने पर उसे फायदा होगा।
वह मकान और 20 से 25 लाख रुपये तक उसे दिलवा देगा। इस आधार पर वह भी षड्यंत्र में शामिल हो गई। फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाए। शपथपत्र लगाए गए। इसके बाद उमा देवी का नाम तहसील में खतौनी में दर्ज करा लिया गया। वह टहल सिंह और जसवीर को जानती तक नहीं थी। पुलिस के सामने भी अपनी पहचान छिपाकर रखती थी। राजू उमा देवी का भाई बनकर आता था।
इसके बाद साल 2023 में गांजा और शराब के दो मुकदमों में पांच लोगों को जेल भेजा गया था। एसआईटी 4 माह में यह पता नहीं लगा सकी कि शराब और गांजा वहां किसने रखा था। पुलिस ने किसके कहने पर कार्रवाई की थी। इस मामले में पुलिस वाले फंस रहे हैं इसलिए पुलिस ने इस ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। गांजा और शराब के मुकदमे अभी लंबित हैं। गांजा बरामदगी में चार्जशीट चली गई थी। उस मुकदमे में अग्रिम विवेचना के आदेश हुए थे। विवेचना अभी चल रही है। शराब मामले में भी मुकदमा लंबित है।