राजस्थान विधानसभा ने एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल को पारित कर दिया है. इससे प्रदेश के वकीलों को संरक्षण देने का रास्ता साफ हो गया है. इस बिल के पारित होने के बाद से अब किसी वकील से मारपीट को गैर जमानती अपराध माना जाएगा. इस विधेयक की मांग वकील काफी पहले से कर रहे थे. बिल के पारित होने से वकीलों में खुशी की लहर है. पुलिस थाने में हुई एक वकील की पिटाई के विरोध में पिछले एक महीने से वकील हड़ताल पर थे. इससे अदालतों का कामकाज प्रभावित हो रहा था.

एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल पास करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य है.इस बिल में वकीलों के साथ मारपीट,अभद्रता करने पर 50 हजार रुपये का जुर्माना और सात साल की अधिकतम सजा का प्रावधन है.राजस्थान अधिवक्ता संरक्षण विधेयक 2023 एक्ट के प्रमुख प्रावधान इस प्रकार हैं, अब किसी भी वकील के विरूद्ध हिंसा करना होगा गैर जमानती हो गया है. आरोप साबित होने पर सात साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है. कोई व्यक्ति अगर किसी वकील की संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है तो आरोपी से क्षतिपूर्ति की राशि वसूल कर अधिवक्ता को दिलाने का भी प्रावधान इस बिल में किया गया है.

प्रदेश में अब कहीं भी किसी वकील के साथ हिंसा होने पर लागू होगा यह एक्ट.पहले इसे न्यायालय परिसर तक ही सीमित किया गया था. लेकिन अब एक्ट की धारा-3 में संशोधन कर यह प्रावधान किया गया है कि अगर किसी वकील के कामकाज के संबंध में हिंसा होने पर सभी जगह यह एक्ट प्रभावी होगा.

इस बिल के पारित होने के बाद राजस्थान हाई कोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष रणजीत जोशी ने कहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अधिवक्ताओं से जो वादा किया था,उसे पूरा किया है. उन्होंने बताया कि 27 मार्च से वकील काम पर लौट जाएंगे. राजस्थान में वकील 20 फरवरी से ही हड़ताल पर चल रहे थे.

जोधपुर के आसोप थाना परिसर में फरवरी में थानाधिकारी और अन्य पुलिसकर्मियों ने एक वकील के साथ मारपीट की थी. इसके विरोध में प्रदेश भर के वकील हड़ताल पर चले गए थे.

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