कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ प्रस्ताव का विरोध करते हुए इसे अव्यावहारिक बताया। उन्होंने एक साथ चुनाव के प्रस्ताव को मंजूरी को चुनाव से पहले एक चुनावी हथकंडा करार देते हुए कहा, ‘जब चुनाव आते हैं, तो वे (भारतीय जनता पार्टी) ये सब बातें कहते हैं। उन्होंने कहा कि देश की जनता भी इसे स्वीकार नहीं करेगी। उनकी यह टिप्पणी केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा एक साथ चुनाव कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दिये जाने के बाद आयी है।

इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाले एक पैनल ने लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले मार्च में रिपोर्ट सौंपी थी। खड़गे ने कहा कि हम इसके साथ नहीं खड़े हैं। लोकतंत्र में एक देश एक चुनाव नहीं चल सकता। यदि हम चाहते हैं कि हमारा लोकतंत्र जीवित रहे तो आवश्यकता पड़ने पर चुनाव कराने होंगे। कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा कि इस देश में यह बिल्कुल भी व्यावहारिक नहीं है। वे मौजूदा मुद्दों से ध्यान भटकाना चाहते हैं।

राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि एक देश, एक चुनाव नहीं हो सकता, कानून में संशोधन करना होगा और उनके पास कानून में संशोधन के लिए पर्याप्त बहुमत नहीं है। भाजपा पर वार करते हुए उन्होंने कहा कि वे अपनी नाकामियों से ध्यान भटकाने के लिए ऐसा करते हैं। महिला आरक्षण बिल तो पास हो गया, लेकिन क्या इसे लागू किया गया? इसी तरह एक राष्ट्र, एक चुनाव का प्रचार-प्रसार चल रहा है।

मंत्रिमंडल के समक्ष रिपोर्ट पेश करना विधि मंत्रालय के 100 दिन के एजेंडे का हिस्सा है। उच्च स्तरीय समिति ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी, जिसके बाद 100 दिन के भीतर एक साथ स्थानीय निकाय चुनाव कराने की सिफारिश की गयी। समिति ने सिफारिशों के क्रियान्वयन पर नजर रखने के लिए एक ‘क्रियान्वयन समूह’ गठित करने का भी प्रस्ताव दिया था। उसने कहा था कि एक साथ चुनाव कराने से संसाधनों को बचाने, विकास और सामाजिक एकजुटता को बढ़ावा देने, ‘‘लोकतंत्र की नीव’’ को मजबूत करने और भारत की आकांक्षाओं को साकार करने में मदद मिलेगी।

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