लोकसभा चुनाव के लिए 195 उम्मीदवारों के नाम घोषित कर भाजपा ने चुनावी तैयारियों में कांग्रेस को पीछे छोड़ दिया है। अब कांग्रेस के उम्मीदवारों के नामों का इंतजार है। इसमें करीब पांच से आठ दिन का समय और लग सकता है। उम्मीदवारों के नाम तय करने के लिए कांग्रेस की केन्द्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की पहली बैठक इस सप्ताह के अंत तक होने की संभावना है। उम्मीद की जा रही है पहली सूची में अधिकांश सीटिंग सांसदों के नाम तय किए जा सकते हैं। दरअसल, कांग्रेस का अधिकांश राज्यों में अपने सहयोगियों से सीट बंटवारे को लेकर औपचारिक बैठकें हो चुकी है।
उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, गुजरात, गोवा और चंढ़ीगढ़ के लिए कांग्रेस का सहयोगी दल सपा, आप से सीट बंटवारा हो चुका है। कांग्रेस का अब महाराष्ट्र, बिहार, झारखंड, तमिलनाडु, जम्मू कश्मीर समेत कुछ अन्य राज्यों में सीट बंटवारे की घोषणा इसी सप्ताह में होने की उम्मीद है। इसके बाद कांग्रेस खुद के उम्मीदवारों के नामों की घोषणा करने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगी।
सूत्रों ने बताया कि अधिकांश राज्यों में स्क्रीनिंग का काम लगभग पूरा हो चुका है। पैनलों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इस सप्ताह के अंत तक सीईसी की बैठक होने की संभावना है, जिनमें इन पैनलों को रख कर उम्मीदवारों की पहली सूची मंजूर की जाएगी। कांग्रेस महासचिव जितेन्द्र सिंह ने बैठक के अगले चार-पांच दिन में सीईसी की बैठक होने के संकेत दिए हैं। उन्होंने दावा किया है कि सीईसी की बैठक के तत्काल बाद उम्मीदवारों के नाम घोषित हो जाएंगे।
सूत्रों ने कहा कि विपरीत हालात में चुनाव जीतने वाले सिटिंग सांसदों के नामों पर सीईसी सबसे पहले चर्चा करेगी। कुछ सांसद सीट बदलना चाहते हैं, जिन पर भी सीईसी में चर्चा कर फैसला किया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि राजस्थान समेत कुछ राज्यों में स्क्रीनिंग का काम धीमा बना हुआ है। राजस्थान में स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक एक बार ही हो सकी है। यहां की सभी 25 सीटों का पैनल अब तक फाइनल नहीं हो सका है।
वर्तमान सियासी हालात को देखते हुए कांग्रेस आलाकमान ने सभी स्क्रीनिंग कमेटियों को स्पष्ट निर्देश देख रखे हैं कि संभावित उम्मीदवार के ब्रेकग्राउंड को अच्छी तरह तलाशा जाए। उम्मीदवार का जिताऊ होने के साथ टिकाऊ भी होना जरूरी है। इसके अलावा कोशिश की जा रही है कि ऐसे नेताओं को चुनाव में उतारा जाए, जिनके खिलाफ आपराधिक, भ्रष्टाचार समेत अन्य किसी भी तरह के आरोप नहीं हो। ऐसे में उनके टिकाऊ होने की संभावना अधिक रहेगी।