उत्तराखंड में जल्द ही समान नागरिक संहिता यूसीसी लागू होने जा रहा है। उत्तराखंड देश का पहला राज्य बनेगा, जो कि यूसीसी लागू करेगा।

यूसीसी को लेकर धामी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल के पहले ही दिन से लगातार तेजी से कदम बढ़ाए हैं। 11 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी विधेयक पर मुहर लगा दी है।

इसके बाद लोकसभा चुनाव में व्यस्तता के कारण इस पर सरकार ने आगे कदम नहीं बढ़ाया। अब सीएम धामी ने अक्टूबर में इसे लागू करने की बात की है।

लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र में भाजपा यूसीसी को लेकर धामी सरकार की पीठ थपथपाने में जुटी थी। यूसीसी को उत्तराखंड की तरह दूसरे राज्यों में भी लागू करने की बात की जा रही थी। लेकिन जिस तरह का जनादेश आया उससे साफ है कि भाजपा यूसीसी को जल्दबाजी में लागू नहीं करना चाहती, जिससे मुस्लिम वोटर नाराज हों। इसके लिए धामी सरकार भी फूक फूक कर कदम रख रही है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में यह कानून मील का पत्थर साबित होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में सभी के लिये सभी के लिये समान कानून लागू करने का हमारा संकल्प रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार ने समान नागरिक संहिता पर देवभूमि की सवा करोड़ जनता से किये गए अपने वादे को निभाया है।

पहली कैबिनेट की बैठक में समान नागरिक संहिता बनाने के लिए एक विशेषज्ञ समिति के गठन का निर्णय लिया और 27 मई 2022 को उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में पांच सदस्यीय समिति गठित की। इसके लिये 43 जनसंवाद कार्यक्रम आयोजित किये जाने पर समिति को विभिन्न माध्यमों से लगभग 2.33 लाख सुझाव प्राप्त हुए।

प्राप्त सुझावों का अध्ययन कर समिति ने उनका रिकॉर्ड समय में विश्लेषण कर अपनी विस्तृत रिपोर्ट 02 फरवरी 2024 को सरकार को सौंपी तथा 7 फरवरी को विधान सभा द्वारा पारित कर 11 मार्च को राष्ट्रपति द्वारा इसे स्वीकृति प्रदान की है।

धामी ने कहा कि इसकी नियमावली बनाने के लिये समिति का गठन किया गया है। समिति की रिपोर्ट प्राप्त होते ही इस वर्ष अक्टूबर तक इसे प्रदेश में लागू कर दिया जायेगा। धामी ने कहा कि सभी नागरिकों के लिए समान कानून की बात संविधान स्वयं करता है, क्योंकि हमारा संविधान एक पंथनिरपेक्ष संविधान है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि समान नागरिक संहिता समाज के विभिन्न वर्गों, विशेष रूप से माताओं-बहनों और बेटियों के साथ होने वाले भेदभाव को समाप्त करने में सहायक होगा। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचारों को रोका जाए। हमारी माताओं-बहन-बेटियों के साथ होने वाले भेदभाव को समाप्त किया जाए। हमारी आधी आबादी को सच्चे अर्थों में बराबरी का दर्जा देकर हमारी मातृशक्ति को संपूर्ण न्याय दिया जाए।

मुख्यमंत्री ने समान नागरिक संहिता में लिव इन संबंधों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करते हुए कहा कि एक वयस्क पुरुष जो 21 वर्ष या अधिक का हो और वयस्क महिला जो 18 वर्ष या उससे अधिक की हो, वे तभी लिव इन रिलेशनशिप में रह सकेंगे, जब वो पहले से विवाहित या किसी अन्य के साथ लिव इन रिलेशनशिप में न हों और कानूनन प्रतिबंधित संबंधों की श्रेणी में न आते हों। लिव-इन में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को लिव-इन में रहने हेतु केवल पंजीकरण कराना होगा जिससे भविष्य में हो सकने वाले किसी भी प्रकार के विवाद या अपराध को रोका जा सके।

 

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