स्वयंभू संत आसाराम बापू जो यौन उत्पीड़न के गंभीर मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं को 17 दिन की पैरोल पर रिहा किया गया है। नाबालिग से यौन उत्पीड़न मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम को 17 दिन की पैरोल दी गई है जिसमें 15 दिन इलाज के लिए और 2 दिन यात्रा के शामिल हैं। वह आईसीयू एंबुलेंस में महाराष्ट्र के लिए रवाना हो गए।
आसाराम ने 17 दिनों की पैरोल के लिए अदालत में अर्जी दी थी। पैरोल उन्हें व्यक्तिगत कारणों से दी गई है जिसकी पूरी जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है। पैरोल की शर्तों के अनुसार आसाराम इस अवधि में अपनी गतिविधियों पर संयमित रहेंगे और कानून का पालन करेंगे।
रिहाई के बाद आसाराम महाराष्ट्र के लिए रवाना हो गए हैं। माना जा रहा है कि वे अपने अनुयायियों से मिल सकते हैं या किसी निजी कार्य के लिए जा रहे हैं। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि उनकी यात्रा का मुख्य उद्देश्य क्या है।
आसाराम के बाहर आने के बाद स्थानीय प्रशासन सतर्क है। उन्हें लेकर पहले भी विवाद और विरोध प्रदर्शन हो चुके हैं। प्रशासन ने सुनिश्चित किया है कि पैरोल की अवधि के दौरान वे किसी भी अनुचित गतिविधि में शामिल न हों।
आसाराम पर केवल एक नहीं बल्कि कई यौन उत्पीड़न और गैरकानूनी गतिविधियों के आरोप लगे हैं। 2013 में उनकी गिरफ्तारी के बाद देशभर में उनके अनुयायियों के बीच नाराजगी देखी गई थी। लेकिन कानून ने उन्हें सजा देकर एक सख्त संदेश दिया।
क्या है पैरोल की शर्तें?
: पैरोल केवल 17 दिनों के लिए है।
: आसाराम को कानून का पूरी तरह पालन करना होगा।
: पैरोल की अवधि खत्म होते ही उन्हें वापस जेल लौटना होगा।
: किसी भी गैरकानूनी गतिविधि या विवाद में फंसने पर उनकी पैरोल रद्द हो सकती है।
आसाराम का मामला भारतीय समाज में धर्म, आस्था और कानून के बीच संतुलन का एक बड़ा उदाहरण है। जहां एक ओर उनके अनुयायी उन्हें संत मानते हैं वहीं दूसरी ओर कानून ने उनके अपराधों पर सख्ती से कार्रवाई की है।
फिलहाल पैरोल की अवधि खत्म होने के बाद आसाराम को फिर से जेल में वापस जाना होगा। प्रशासन इस दौरान उनके हर कदम पर नजर रखेगा।