दिल्ली कैबिनेट द्वारा सभी निजी स्कूलों की फीस वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए स्कूल फीस एक्ट को मंजूरी दे दी गई है। इसके बाद सीएम रेखा गुप्ता ने कहा कि इस एक्ट के जरिए सभी 1677 स्कूलों की फीस पारदर्शी तरीके से नियंत्रित की जाएगी। पिछली सरकारों के कार्यकाल में लगातार फीस में बढ़ोतरी होती रही है। पहली बार किसी सरकार ने यह एक्ट बनाया है। उन्होंने दावा किया कि जल्द ही ऐसा समय आएगा जब दिल्ली सरकार इतनी व्यवस्थित हो जाएगी कि लोग अपने बच्चों को निजी स्कूलों की बजाय सरकारी स्कूलों में भेजने के लिए मजबूर हो जाएंगे। हम जल्द ही सदन बुलाकर एक्ट पर मुहर लगाकर इसे दिल्ली की जनता को सौंप देंगे। 

मंत्री आशीष सूद ने कहा कि आप सरकार से अलग हमारी सरकार ने उन रास्तों को बंद कर दिया है, जिनके ज़रिए बच्चों को लूट का माध्यम बनाया जाता था। पिछली सरकार भी ऐसा कर सकती थी, लेकिन अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए उन्होंने छात्रों पर दबाव बनाकर स्कूलों द्वारा वसूली गई रकम का अंडर टेबल सेटलमेंट किया। उन्होंने कहा कि 27 सालों तक हर साल फीस में लगातार बढ़ोतरी होती रही। हमारी सरकार ने डीएम कमेटी भेजी, जिसके बाद कोर्ट ने पहली बार डीपीएस को फटकार लगाई। हमारा एकमात्र उद्देश्य है कि छात्रों का मानसिक उत्पीड़न बंद हो। 

दिल्ली विधानसभा में पेश और पारित होने के बाद, अधिनियम कानून बन जाएगा और निजी स्कूलों की फीस संरचनाओं पर सख्त नियम लागू करेगा। अभी तक दिल्ली में निजी स्कूलों द्वारा फीस निर्धारित करने या बढ़ाने के तरीके को विनियमित करने के लिए कोई कानून नहीं था। ऐसे कानून की कमी के कारण फीस वृद्धि अनियंत्रित हो गई, जिससे कई परिवारों में परेशानी पैदा हो गई। हाल ही में स्वीकृत दिल्ली स्कूल फीस अधिनियम अभिभावकों के लिए एक बड़ी राहत के रूप में आया है, जिसका उद्देश्य निजी संस्थानों द्वारा मनमानी और अत्यधिक फीस वृद्धि को रोकना है।

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