उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के विधायक अब्बास अंसारी की उस याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा, जिसमें उन्होंने हथियार लाइसेंस मामले में जमानत याचिका खारिज करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी है। गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी के बड़े बेटे अब्बास ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के 20 नवंबर, 2023 के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है।
अब्बास अंसारी की याचिका पर न्यायमूर्ति बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ के समक्ष सुनवाई हुई। पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर अब्बास की याचिका पर जवाब मांगा और इसे चार सप्ताह के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। शस्त्र लाइसेंस प्राप्त करने और हथियार खरीदने में कथित अनियमितताओं के लिए 12 अक्टूबर, 2019 को मऊ निर्वाचन क्षेत्र से विधायक अब्बास के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, ‘‘याचिकाकर्ता (अब्बास) का शुरू में लखनऊ में जारी किया गया लाइसेंस एक अक्टूबर, 2015 को अमान्य हो गया था। उसी लाइसेंस के आधार पर उसने एक जून, 2017 को नयी दिल्ली में लाइसेंस जारी कराया और उसने सात आग्नेयास्त्र खरीदे।” अब्बास ने 2012 में लखनऊ से हथियार का लाइसेंस प्राप्त किया था। उच्च न्यायालय ने कहा था कि अब्बास ने एक रिवॉल्वर की इजाजत ली थी जो एक शूटर के लिए मंजूर नहीं थी और उनके पास 4,431 कारतूस थे, जिनमें से कई धातु खोल वाले थे और उन्हें एक शूटर द्वारा इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं थी। अब्बास अंसारी को प्रतिस्पर्धी निशानेबाज माना जाता है और उन्होंने निशानेबाजी चैंपियनशिप में पदक जीते हैं।
हाईकोर्ट ने अब्बास की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था, ‘‘एक विशेषज्ञ निशानेबाज और विधानसभा के सदस्य के रूप में याचिकाकर्ता की स्थिति पर विचार करने के बाद, आवेदक के जमानत पर रिहाई के मामले में गवाहों को प्रभावित करने में सक्षम होने की संभावना है। इस वजह से याचिकाकर्ता को जमानत से इनकार किया जाता है।” अब्बास अंसारी ने 2022 का विधानसभा चुनाव सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के टिकट पर जीता, जो उस समय समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में थी।