उत्तर प्रदेश में अपराधियों के एनकाउंटर को लेकर सियासत हमेशा ही गर्म रहती है।हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आरोप लगाए थे कि यूपी पुलिस जाति देखकर एनकाउंटर करती है। अखिलेश ने यह भी कहा था कि यादव समाज के लोगों का जान-बूझकर एनकाउंटर किया जा रहा है,लेकिन यूपी पुलिस के आंकड़े अलग ही कहानी बयां करते हैं, जो अखिलेश यादव के झूठ का पर्दाफाश करते हैं।

योगी आदित्यनाथ साल 2017 में मुख्यमंत्री बने थे। 2017 से लेकर अब तक इन सात सालों में  प्रदेश में कुल 12,525 मुठभेड़ हुई हैं,जिसमें 207 अपराधी हुए और 6 हजार से अधिक घायल हुए। 207 में सबसे अधिक 66 अपराधी मेरठ जोन में मुठभेड़ में ढेर हुए हैं। वाराणसी जोन में 21 और आगरा जोन में 16 अपराधी पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में ढेर हुए हैं।

2017 से अब तक सात सालों में अपराधियों से मोर्चा लेते हुए 17 पुलिसकर्मी भी शहीद हुए हैं और 1500 घायल हुए हैं। मुठभेड़ में मारे गए 207 अपराधियों की जाति ढूंढी गई और आरोप लगे कि पुलिस और खासकर एसटीएफ कुछ विशेष जाति व धर्म के लोगों को टारगेट कर रही है, जबकि उससे गंभीर मुकदमों में वांछित अपराधियों को अभय दान दिया जा रहा है।जब यूपी पुलिस के आंकड़ों में देखा गया कि साल 2017 से अब तक हुई मुठभेड़ में ढेर हुए 207 अपराधियों में किस जाति के कितने अपराधी ढेर किए गए हैं तो हकीकत कुछ और ही निकली।

यूपी में अब तक हुई मुठभेड़ में सबसे अधिक मुस्लिम अपराधी ढेर हुए हैं।67 मुस्लिम अपराधी मुठभेड़ में ढेर हुए हैं।इसमें कुख्यात माफिया अतीक अहमद का बेटा असद,शूटर उस्मान चौधरी भी शामिल हैं।दुर्दांत अपराधी विकास दुबे, उसके साथ अमर दुबे समेत 20 अपराधी ब्राह्मण और 18 ठाकुर अपराधी शामिल हैं।जिस यादव जाति पर सियासी घमासान मचा हुआ है वह चौथे नंबर पर हैं।यादव जाति के 16 अपराधी मुठभेड़ में ढेर हुए हैं,जिसमें बीते दिनों मथुरा में ढेर किया गया कुख्यात पंकज यादव और सुल्तानपुर डकैती कांड में शामिल डकैत मंगेश यादव भी शामिल है।इसके अलावा 17 गुर्जर और जाट, 14 दलित, 3 अनुसूचित जनजाति, 2 सिख,8 अन्य ओबीसी और 42 अन्य जाति के अपराधी शामिल हैं।

 

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