स्लोवाकिया के पूर्व प्रधानमंत्री रॉबर्ट फिको और उनके वामपंथी दल ने देश के संसदीय चुनावों में जीत दर्ज की है।
चुनाव प्रचार के दौरान रूस समर्थक रुख रखने और अमेरिका विरोधी संदेश देने के बाद मिली इस जीत को उनकी जबरदस्त राजनीतिक वापसी के तौर पर देखा जा रहा है।
स्लोवाक सांख्यिकी कार्यालय ने रविवार सुबह बताया कि फिको और उनके वामपंथी दल ‘डायरेक्शन-स्लोवाक सोशल डेमोक्रेसी’ (एसएमईआर) को कुल मतों में से सर्वाधिक 22.9 फीसद मत प्राप्त हुए हैं। छह हजार मतदान केंद्रों पर डाले वोट में से 99.98 प्रतिशत मतों की गणना होने के बाद यह जानकारी दी गई थी।
शनिवार को हुए इस चुनाव को पड़ोसी देश यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के मद्देनजर कीव की मदद करने के संदर्भ में स्लोवाकिया के लिए परीक्षा के तौर पर देखा जा रहा था। फिको की जीत यूरोपीय संघ और नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) की नाजुक एकता को और नुकसान पहुंचा सकती है। फिको (59) ने वादा किया था कि यदि वह सत्ता में वापसी के अपने प्रयास में सफल हो जाते हैं तो वह यूक्रेन को स्लोवाकिया द्वारा दिए जा रहे सैन्य समर्थन को वापस ले लेंगे।
कुल 55 लाख की आबादी वाला देश स्लोवाकिया, रूस द्वारा युद्ध छेड़े जाने के बाद से यूक्रेन का प्रबल समर्थक रहा है। वह अपने पड़ोसी देश को हथियार प्रदान कर रहा था और उसने युद्ध के दौरान शरणार्थियों के लिए अपनी सीमाएं खोल दी थीं। चुनाव में किसी भी दल को बहुमत प्राप्त नहीं होने पर गठबंधन सरकार गठित करने की आवश्यकता होगी।
देश के राष्ट्रपति परंपरागत रूप से चुनाव के विजेता को सरकार बनाने का प्रयास करने के लिए कहते हैं, इसलिए फिको के फिर से प्रधानमंत्री बनने की संभावना है। उन्होंने 2006-2010 और फिर 2012-2018 में प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया है। चुनाव के लिए शनिवार को मतदान हुआ था, जिसमें उदारवादी और पश्चिम समर्थक दल ‘प्रोग्रेसिव स्लोवाकिया’ 18 फीसदी मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहा।