संयुक्त राष्ट्र में शांति रक्षा अभियानों पर बहस के दौरान पाकिस्तान द्वारा जम्मू कश्मीर का जिक्र किए जाने पर भारत ने पड़ोसी देश पर ‘झूठ’ फैलाने का आरोप लगाते हुए उसकी आलोचना की।

राज्यसभा सदस्य और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, ‘‘भारत ने पाकिस्तान द्वारा की गईं टिप्पणियों पर जवाब देने के अपने अधिकार को चुना है, जिसने एक बार फिर इस प्रतिष्ठित निकाय को अपने एजेंडे से भटकाने का प्रयास किया है।’’

उन्होंने शुक्रवार को यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा की विशेष राजनीतिक एवं वि-उपनिवेशीकरण (चौथी समिति) में शांति रक्षा अभियानों पर चर्चा के दौरान ये टिप्पणियां कीं।

त्रिवेदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के इस मंच के प्रतिष्ठित सदस्यों के सम्मान में भारत संयुक्त राष्ट्र की प्रक्रियाओं का ‘‘दुरुपयोग’’ करने के पाकिस्तान के किसी भी प्रयास का जवाब देने से परहेज करेगा।

उन्होंने भारत की ओर से यह कड़ी प्रतिक्रिया तब दी है जब पाकिस्तानी प्रतिनिधि ने नियंत्रण रेखा पर संघर्षविराम पर नजर रखने वाले भारत और पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह (यूएनएमओजीआईपी) के बारे में बात की।

भारत का कहना है कि शिमला समझौते और उसके परिणामस्वरूप नियंत्रण रेखा की स्थापना के बाद यूएनएमओजीआईपी की उपयोगिता समाप्त हो गई है और यह अप्रासंगिक है।

त्रिवेदी ने बाद में, सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि शांति रक्षा अभियानों पर संयुक्त राष्ट्र में चर्चा के दौरान पाकिस्तान के प्रतिनिधि ने संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा विषय पर बोलते हुए ‘‘विषय को भटकाने की कोशिश की और अनावश्यक रूप से उल्लेख किया कि संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों के साथ पाकिस्तान की भागीदारी तब शुरू हुई जब संयुक्त राष्ट्र ने 1948 में जम्मू और कश्मीर क्षेत्र में शांति सैनिकों को तैनात किया था।’’

उन्होंने कहा कि ‘‘इस टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताते हुए’’ उन्होंने जवाब देने के अधिकार का इस्तेमाल किया और ‘‘मंच पर दृढ़तापूर्वक कहा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था, है, और हमेशा रहेगा।’’

भाजपा नेता ने कहा, ‘‘जम्मू कश्मीर में हाल में उचित तरीके से लोकतांत्रिक चुनाव हुआ। इसलिए संयुक्त राष्ट्र के इस प्रतिष्ठित मंच का इस्तेमाल इन प्रकार के भ्रामक शब्दों का उल्लेख करने में नहीं किया जा सकता।’’

उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार की ‘‘ठोस विदेश नीतियों के कारण संभव’’ हो सका है।

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