बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल युनाइटेड (JDU) नेता नीतीश कुमार इन दिनों 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिश में जुटे हैं। हालांकि, उन्हें अपने पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में ही बड़ा झटका लगा है। बहुजन समाज पार्टी (BSP) सुप्रीमो मायावती ने आनंद मोहन की रिहाई की तैयारी को दलितों के अपमान से जोड़ा है। आपको बता दें कि बिहार सरकार ने हाल ही में एक कानून संसोधन किया है, जिसके बाद उनकी रिहाई आसान हो जाएगी। इतना ही नहीं, नीतीश कुमार सार्वजिनक मंचों से भी कई बार यह कह चुके हैं कि वह आनंद मोहन की रिहाई के लिए जो भी संभव है वह कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने सिलसिलेवार ट्वीट में नीतीश कुमार पर हमला बोला है। उन्होंने लिखा, ”बिहार की नीतीश सरकार द्वारा आन्ध्र प्रदेश (अब तेलंगाना) महबूबनगर के रहने वाले गरीब दलित समाज से आईएएस बने बेहद ईमानदार जी. कृष्णैया की निर्दयता से की गई हत्या मामले में आनन्द मोहन को नियम बदल कर रिहा करने की तैयारी देश भर में दलित विरोधी निगेटिव कारणों से काफी चर्चाओं में है।”

वह आगे लिखती हैं, ”आनन्द मोहन बिहार में कई सरकारों की मजबूरी रहे हैं, लेकिन गोपालगंज के तत्कालीन डीएम कृष्णैया की हत्या मामले को लेकर नीतीश सरकार का यह दलित विरोधी व अपराध समर्थक कार्य से देश भर के दलित समाज में काफी रोष है। चाहे कुछ मजबूरी हो किन्तु बिहार सरकार इस पर जरूर पुनर्विचार करे।”

2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए सभी की नजरें उत्तर प्रदेश की 80 सीटों पर हैं। यहां अखिलेश यादव पहले ही कांग्रेस के साथ जाने से इनकार कर चुके हैं। वहीं, अब मायावती के बयान से भी उनके तेवर साफ होते दिख रहे हैं। अगर यूपी जैसे राज्य में विपक्ष एकजुट नहीं होता है तो विपक्षी एकजुटता पर सवाल उठना लाजमी है।

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