गुलाम मुर्तुजा का एक मशहूर शेर है- ‘यूं ही बुनियाद का दर्जा नहीं मिलता किसी को, खड़ी की जाएगी मुझ पर अभी दीवार कोई’। दरअसल एक मज़बूत बुनियाद पर ही भव्य इमारत खड़ी होती है। और अगर इस शेर को अयोध्या से जोड़ें तो बुनियाद की भूमिका में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली यूपी सरकार का विजन है।

यह बात इसलिए कही जा रही है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जब राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ और 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनभावना के अनुरूप बनने वाले राममंदिर का शिलान्यास किया था तो श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के लिए भव्य राम मंदिर निर्माण जितनी बड़ी चुनौती नहीं था, उससे बड़ी चुनौती अयोध्या को राम मंदिर निर्माण के बाद की स्थितियों के लिए तैयार करना था और यहीं से योगी सरकार के विज़न का इम्तिहान शुरू हुआ था।

अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनके खड़ा हो गया होता, लेकिन अयोध्या उसको सहेज पाने की स्थिति में ही नहीं होती तो क्या होता? लोगों को अयोध्या पहुंचने में ही पसीने छूट जा रहे होते तब क्या होता? योगी आदित्यनाथ जब मुख्यमंत्री नहीं भी बने थे, तब भी उनके बारे में कहा जाता था कि वह धुन के बहुत पक्के हैं और उनकी सोच बहुत स्पष्ट है। उनकी इसी प्रतिभा के बल पर यूपी सरकार ने अयोध्या को संसाधनों से लैस करने का खाका तैयार करना शुरू किया।

सिर्फ़ खाका ही नहीं तैयार किया उसे अमली जामा पहनाने को समयबद्ध प्लान भी तय किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूरी केंद्र सरकार अयोध्या को लेकर यूपी सरकार के विज़न के साथ खड़ी थी। उसी का नतीजा कहा जा सकता है कि आज दूसरे शहरों, दूसरे राज्यों या दूसरे देशों से आने वाले लोगों के लिए राजधानी लखनऊ के मुक़ाबले अयोध्या पहुंचना ज़्यादा सुगम और आकर्षक लग रहा है।

अयोध्या जैसे छोटे ज़िले में एयरपोर्ट की बात तो सोची भी नहीं जाती थी, लेकिन वहां इंटरनैशनल एयरपोर्ट बनकर खड़ा हो गया। सिर्फ़ इंटरनैशनल एयरपोर्ट ही नहीं, अयोध्या तक पहुंच आसान बनाने के लिए दूसरे विकल्प भी उपलब्ध करवाए गए हैं।

अयोध्या की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को भी पहले से कहीं ज़्यादा मज़बूत किया गया। इन सबका नतीजा यह होने वाला है कि अयोध्या आने वाले दिनों में देश के सबसे बड़े पर्यटन केंद्र के रूप में दिखेगा। ज़ाहिर सी बात है कि जब पर्यटक आएंगे तो अयोध्या में तमाम दूसरे सेक्टर को बूम मिलेगा। ऐसा होने पर उसका फ़ायदा सिर्फ़ स्थानीय लोगों तक सीमित होकर नहीं रहेगा, बल्कि उसका असर राज्य की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। और यूपी की अर्थव्यवस्था जितनी मज़बूत होगी, देश की अर्थव्यवस्था को ताक़त मिलेगी।

 

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