वाराणसी जिला जज की अदालत ने आदेश दिया है कि अगर प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ज्ञानवापी मस्जिद में चल रहे एएसआई सर्वे के संबंध में कोई खबर गलत तरीके से प्रकाशित करता है, या बिना औपचारिक जानकारी के जटिल कार्य करता है और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई), वादी और प्रतिवादी द्वारा कोई जानकारी नहीं दी जाती है, तो उनके खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई की जा सकती है। अदालत ने गुरुवार को वादी, प्रतिवादी और उनके अधिवक्ताओं, जिला सरकारी वकील (सिविल) और अन्य अधिकारियों के अलावा सर्वेक्षण में शामिल एएसआई अधिकारियों को आदेश दिया कि वे प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के साथ सर्वेक्षण के बारे में कोई भी जानकारी साझा न करें।
मिली जानकारी के मुताबिक, अदालत ने 8 अगस्त को अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी (एआईएमसी) द्वारा दायर एक आवेदन पर आदेश पारित किया, जिसमें मीडिया को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में एएसआई द्वारा किए जा रहे सर्वेक्षण के बारे में “झूठी और गलत खबरें प्रकाशित करने, प्रसारित करने” से रोकने का आदेश देने की मांग की गई थी। अदालत ने आदेश दिया, ”अगर प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एएसआई, वादी और प्रतिवादी पक्ष द्वारा कोई जानकारी नहीं दिए जाने के बावजूद बिना औपचारिक जानकारी के सर्वेक्षण के संबंध में कोई खबर गलत तरीके से प्रकाशित करता है, तो उनके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जा सकती है। वहीं सर्वे में शामिल सभी एएसआई अधिकारियों को आदेश दिया गया है कि वे सर्वे से संबंधित कोई भी जानकारी न तो प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया पर देंगे और न ही सर्वे से संबंधित जानकारी किसी और से साझा करेंगे। वे अदालत के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।
बताया जा रहा है कि अदालत ने यह भी कहा कि सर्वेक्षण के बारे में कोई भी जानकारी प्रचारित नहीं की जानी चाहिए ताकि रिपोर्ट केवल अदालत के सामने पेश की जा सके। एआईएमसी के संयुक्त सचिव एस.एम. यासीन ने आदेश का स्वागत किया। यासीन ने एक बयान में कहा कि हमारे आवेदन पर सुनवाई के बाद माननीय जिला न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश का हम स्वागत करते हैं। एआईएमसी ने अपने वकील मुमताज अहमद, अखलाक अहमद और रईस अंसारी के माध्यम से मंगलवार (8 अगस्त) को आवेदन दायर किया। मुमताज अहमद ने कहा कि एएसआई सर्वेक्षण अदालत के आदेश पर किया जा रहा है और एएसआई के किसी भी अधिकारी ने सर्वेक्षण कार्यवाही के संबंध में कोई बयान नहीं दिया है। उन्होंने कहा, लेकिन सोशल, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (ज्ञानवापी मस्जिद के) उन हिस्सों के बारे में मनमाने तरीके से झूठी और गलत खबरें प्रकाशित और प्रसारित कर रहे थे, जहां अभी तक सर्वेक्षण नहीं किया गया था। वहीं श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी केस की वादी नंबर 1 राखी सिंह के वकील मान बहादुर सिंह ने कहा कि लोग इस मामले के बारे में जानना चाहते हैं, इसलिए मीडिया को कवरेज से नहीं रोका जाना चाहिए।