दक्षिण-पूर्व एशिया सहित 20 देशों के 19 लाख से ज़्यादा वयस्कों पर किए गए विश्लेषण के अनुसार, लाल मांस खाने से टाइप 2 मधुमेह का ख़तरा बढ़ जाता है। द लैंसेट एंड एंडोक्राइनोलॉजी में प्रकाशित यह अध्ययन इस विषय पर “अब तक का सबसे व्यापक साक्ष्य” प्रदान करता है।विश्लेषण पाया गया कि रोजाना 50 ग्राम प्रोसेस्ड मीट खाने से टाइप 2 मधुमेह का खतरा 15 फीसदी बढ़ जाता है। जबकि 100 ग्राम अनप्रोसेस्ड रेड मीट खाने से 10 फीसदी और 100 ग्राम पोल्ट्री मीट खाने से आठ प्रतिशत तक खतरा बढ़ जाता है।

अमेरिका, ब्रिटेन, ब्राजील, मैक्सिको और अन्य देशों के शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने पाया कि कई क्षेत्रों में मांस का सेवन अनुशंसित स्तर से अधिक है। इस उच्च खपत को टाइप 2 मधुमेह जैसी गैर-संचारी बीमारियों से जोड़ा गया है। हालांकि, उन्होंने बताया कि अधिकांश मौजूदा सबूत उत्तरी अमेरिका और यूरोप जैसे उच्च आय वाले देशों में किए गए अध्ययनों से आते हैं।

अध्ययन में इंटरकनेक्ट परियोजना के 31 समूहों से प्राप्त डेटा शामिल थे। यह डेटा वैज्ञानिक अध्ययनों और ऑनलाइन रजिस्ट्री से संकलित किया गया था, जिसमें अप्रकाशित जानकारी भी शामिल थी। कुल 19,66,444 प्रतिभागियों में से, एक लाख से अधिक लोगों में आमतौर पर दस साल कीअवधि के दौरान टाइप 2 मधुमेह विकसित हुआ।

शोध के लेखकों ने लिखा, “अमेरिका क्षेत्र में (क्रमशः 13 प्रतिशत और 17 प्रतिशत), यूरोपीय क्षेत्र में (छह प्रतिशत और 13 प्रतिशत), तथा पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र और पूर्वी एशिया में (17 प्रतिशत और 15 प्रतिशत) अप्रसंस्कृत लाल मांस और प्रसंस्कृत मांस के बीच टाइप 2 मधुमेह के मामलों के साथ सकारात्मक संबंध महत्वपूर्ण थे।”

शोधकर्ताओं ने यह भी अनुमान लगाया कि प्रतिदिन 50 ग्राम प्रोसेस्ड मीट की जगह 100 ग्राम अनप्रोसेस्ड रेड मीट लेने से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा औसतन सात प्रतिशत कम हो सकता है। इसके अलावा, प्रोसेस्ड मीट की जगह पोल्ट्री का सेवन करने से 100 ग्राम पोल्ट्री खाने से डायबिटीज का खतरा दस प्रतिशत कम हो जाता है।

दिलचस्प बात यह है कि इस बात का कोई सबूत नहीं मिला कि बिना प्रोसेस किए गए लाल मांस की जगह पोल्ट्री खाने से मधुमेह का जोखिम कम होता है। यह खोज स्वास्थ्य परिणामों पर आहार संबंधी प्रभावों की जटिलता को उजागर करती है।

यह व्यापक अध्ययन स्वास्थ्य जोखिमों के प्रबंधन में आहार विकल्पों के महत्व को रेखांकित करता है। इन संबंधों को बेहतर ढंग से समझकर, व्यक्ति अपने आहार के बारे में सूचित निर्णय ले सकते हैं ताकि संभावित रूप से टाइप 2 मधुमेह के विकास के अपने जोखिम को कम किया जा सके।

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