मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि जब मैं युवा साथियों के बारे में सोचता हूं, कहीं से लगता है कि युवाओं की प्रतिभा पर प्रश्न खड़ा करने का प्रयास किया जाता है तो मुझे इस बात का दुख होता है कि कौन सा ऐसा कालखंड नहीं था, जब युवाओं ने अपनी प्रतिभा व ऊर्जा से समाज को नई दिशा न दी हो। प्राचीन काल से भारत की व्यवस्था को देखें तो युवाओं ने अपने समय में अनेक कार्य किए। युवा शक्ति के रूप में मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम भी याद आते हैं, उन्होंने संकल्प लिया था ‘निसचर हीन करऊं महि, भुज उठाई पन कीन्ह’… जब भारत की धरती से उन्होंने राक्षसी प्रवृत्ति को पूरी तरह समाप्त करने का आह्वान किया था, तब राम युवा ही थे। मथुरा को कंस व राक्षसों के अत्याचार से मुक्त करने वाले ‘परित्राणाय साधुनाम्, विनाशाय च दुष्कृताम्’ का आह्वान करने वाले श्रीकृष्ण भी युवा ही थे। दुनिया को निर्माण का संदेश देने वाले महात्मा बुद्ध, ज्ञान प्राप्त करने के बाद पहला उपदेश इसी सारनाथ में देते हैं, तब वे भी युवा ही थे।
सीएम ने कहा कि वाराणसी बाबा विश्वनाथ का पावन धाम है। प्राचीन काल से धर्म व अध्यात्म की नगरी होने के साथ ही भारत के अध्यात्म दर्शन, शिक्षा, साहित्य और कला की भूमि के रूप में भी यह प्राचीन नगरी के रूप में जानी जाती रही है। वाराणसी उत्तर प्रदेश के प्रमुख महानगरीय होने का सौभाग्य प्राप्त करती है। इसमें न केवल उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक व आध्यात्मिक परंपरा, बल्कि कला, संगीत व शिक्षा की प्रमुख नगरी के रूप में भी वाराणसी समेत उप्र के अनेक नगरों को यह सौभाग्य प्राप्त हुआ है कि वह भारत के हृदय स्थल के रूप में पहचान बनाने में सफल हुए हैं। वाराणसी इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि भगवान बुद्ध ने सारनाथ में पहला उपदेश दिया था, जो आज भी बौद्ध अनुयायियों के लिए पवित्र व आकर्षण का केंद्र बना है।