परिषदीय स्कूलों में हाई एजुकेटेड शिक्षक भर्ती हो रहे हैं। क्लासेस स्मार्ट हो रही हैं। उनमें एलसीडी लग रही है। स्कूलों को डेकोरेट किया जा रहा है, लेकिन शिक्षा की बढ़ाहल स्थिति और बदतर होती जा रही है। आलम ये है कि पांचवी के छात्र 10 का पहाड़ा नहीं सुना पा रहे हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकारी स्कूलों में गरीब बच्चों को किस तरह पढ़ाया जा रहा है।
प्राथमिक स्कूल में गंदगी मिली और रंगाई पुताई की स्थिति भी ठीक नहीं दिखी। यहां भी 104 में से 77 बच्चे ही उपस्थित मिले। कुंवरपुर दान प्राथमिक स्कूल में भी 64 में से 49 बच्चे उपस्थित मिले।
बीएसए संजय सिंह ने बताया कि राघवपुर प्राथमिक स्कूल में 29 बच्चों में से 24 बच्चे उपस्थित मिले। यहां बच्चों को अंग्रेजी और हिंदी की किताबों को पढ़ना तक नहीं आया। कक्षा 3, 4, 5 वीं के छात्र 10 और 12 का पहाड़ा तक नहीं सुना पाए। बीएसए ने बच्चों के शैक्षिक स्तर को बेहद खराब बताते हुए स्कूल के सभी शिक्षकों का वेतन रोक दिया है। साथ ही सात दिन में तथ्यात्मक स्पष्टीकरण देने के निर्देश दिए हैं। भुता प्राथमिक स्कूल में नल का पानी बहता देख बीएसए ने प्रधानाध्यापक को चेतावनी देते हुए तुरंत साफ सफाई कराने के निर्देश दिए। स्कूल के ही एक जर्जर कक्षा में गाय घूमती मिली। इस पर प्रधानाध्यापक को फटकार लगाते हुए उनका वेतन रोकने का आदेश दिया है और सात दिन में स्पष्टीकरण मांगा है।