कानपुर के एलपीएस इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी यानी लाला लाजपत राय अस्पताल ने लंबी निगरानी के बाद एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के अनुसार यूपी में बहुत तेजी से एक साइलेंट किलर बीमारी बढ़ रही है। चौंकाने वाली बात यह है कि यह बीमारी इतनी कॉमन है कि लोग इसपर सालों-साल ध्यान ही नहीं दे रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार सिर दर्द, लगातार चक्कर और बेचैनी होना, सांस लेने में दिक्कत या उल्टी आना हाई ब्लडप्रेशर के लक्षण हो सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार आज के समय में यह सबसे तेजी से बढ़ने वाली साइलेंट किलर बीमारी है। आइए आपको इसके बारे में बताते हैं…
सिर दर्द से परेशान हैं, लगातार चक्कर और बेचैनी हो रही है। सांस लेने में दिक्कत या उल्टी आ रही है तो सतर्क हो जाएं। यह हाई ब्लडप्रेशर के लक्षण हो सकते हैं। सबसे तेजी से बढ़ने वाली यह बीमारी साइलेंट किलर है। लाखों लोग इसकी चपेट में हैं, लेकिन उन्हें पता ही नहीं लग पाता है।
एलपीएस कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट की हालिया रिपोर्ट में इसका खुलासा किया गया है। एक साल में 13 हजार मरीज तकलीफ होने पर संस्थान में पहुंचे तब उन्हें पता चला कि हाइपरटेंशन की गिरफ्त में आ चुके हैं। उनका बीपी मानक से कहीं 160 से 240 मिला।
एलपीएस कार्डियोलाजी इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रो. विनय कृष्णा ने बताया कि ह्दय रोग संस्थान में पिछले अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक 308722 मरीज पहुंचे। इनमें लगभग 13 हजार ऐसे निकले जिनकी जांच के बाद पाया गया कि वह हाई बीपी के शिकार हैं।
ट्रेंड और केस हिस्ट्री के आधार पर स्टडी की गई तो पता चला कि बीमारी से बेखबर ये मरीज डेढ़ साल से हाइपरटेंशन की चपेट में हैं पर किसी में लक्षण नहीं हैं। हल्के-फुल्के लक्षण यदाकदा रहे लेकिन चेक कभी नहीं कराया। उन्होंने कहा कि हार्ट अटैक का बड़ा कारण हाइपरटेंशन है। सिरदर्द, बेचैनी चक्कर और सीने में दर्द हो तो परीक्षण जरूर कराएं।
एलपीएस कार्डियोलाजी इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रो. विनय कृष्णा ने बताया कि ह्दय रोग संस्थान में पिछले अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक 308722 मरीज पहुंचे। इनमें लगभग 3788 मरीज ऐसे निकले। जो ज्यादा मसालेदार भोजन लेते थे। इस दौरान परीक्षण के साथ केस हिस्ट्री डॉक्टरों ने तैयार की तो सामने आया कि ज्यादा नमक और मसालेदार खाना 3788 मरीजों में हाई बीपी का कारण रहा। 872 को एनजाइना पेन हुआ जिसपर उन्हें एक हफ्ते तक भर्ती होकर इलाज कराना पड़ा।
सीएमओ डॉ. आलोक रंजन ने बताया कि नेशनल फॅमिली हेल्थ सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक कानपुर में वर्ष 2015-16 में 15 वर्ष व उससे ऊपर की 4.9 फीसदी महिलाएं सामान्य से कुछ ऊपर, 0.5 फीसदी मध्यम से ऊपर और 0.5 फीसदी सबसे अधिक हाइपरटेंशन से ग्रसित थीं।
2019-21 में यह बढ़कर क्रमश 10.1 फीसदी, 4.4 फीसदी और 17.3 प्रतिशत पहुंच गई। 2015-16 में 15 वर्ष व उससे ऊपर के 7.7 फीसदी पुरुष सामान्य से कुछ ऊपर, 1.0 फीसदी मध्यम से ऊपर और 0.4 फीसदी सबसे अधिक हाइपरटेंशन से ग्रसित थे। 2019-21 में यह बढ़कर क्रमश 11 फीसदी, 2.8 फीसद और 16.2 प्रतिशत हो गई।