भारत सरकार द्वारा संचालित राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम अंर्तगत मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में काला पीलिया (हेपेटाइटिस बी और सी) की जांच के लिए नई मशीन कोबास 5800 की स्थापना की गई है। कोबास 5800 का उद्धाअन राज्य सभा सांसद डॉक्टर लक्ष्मी कांत वाजपेई, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अखिलेश मोहन और प्राचार्य डॉ. आरसी गुप्ता ने किया।
मेडिकल कालेज के मीडिया प्रभारी डॉ वीडी पाण्डेय ने बताया कि इससे पश्चिम यूपी के जिलों के काला पीलिया से पीडित मरीजों को जांच के लिए अब दिल्ली या फिर निजी अस्पतालों में नहीं जाना पड़ेगा।
मेडिकल कालेज के मीडिया प्रभारी डॉ वीडी पाण्डेय ने बताया कि इससे पश्चिम यूपी के जिलों के काला पीलिया से पीडित मरीजों को जांच के लिए अब दिल्ली या फिर निजी अस्पतालों में नहीं जाना पड़ेगा।
डॉ. अमित गर्ग, आचार्य एवं विभागाध्यक्ष माइक्रोबायोलॉजी विभाग ने बताया कि भारत सरकार द्वारा संचालित राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम के अंर्तगत मेडिकल कॉलेज मेरठ की माइक्रोबायोलॉजी प्रयोगशाला में नाको द्वारा स्थापित एचआईवी जांच मशीन में हेपेटाइटिस बी और सी (एचसीवी, एचबीएसएजी) की जांच की जा रही थी।
चूंकि एआरटी सेंटर मेडिकल कालेज मेरठ में मेरठ मण्डल तथा सहारनपुर मण्डल के मरीजों की संख्या अधिक होने के कारणों से एचसीवी, एचबीएसएजी वायरल लोड की जांच के लिए मरिजों को रिपोर्ट के लिए काफी देर तक इंतजार करना होता था। लेकिन मेरठ मेडिकल कालेज में अब कोबास 5800 की स्थापना के बाद काला पीलिया से पीड़ित मरीजों को कला पीलिया की रिपोर्ट जल्दी मिल पाएगी।
मेडिकल कॉलेज मेरठ की माइक्रोबायोलॉजी प्रयोगशाला में स्थापित की गई कोबास 5800 मशीनप्राचार्य डॉ. आरसी गुप्ता ने भारत सरकार का नई मशीन की स्थापना के लिए आभार व्यक्त किया। डॉ. अमित गर्ग, डॉ. पीपी मिश्रा, डॉ. सोनल जिंदल, कार्वी अग्रवाल एवं समस्त माइक्रोबायोलॉजी विभाग को बधाई दी।
डॉ. गुप्ता ने यह भी बताया कि मेडिकल कालेज मेरठ की माइक्रोबायोलॉजी ने कोविड काल में कोरोना की जांच में देश में सबसे अच्छा काम किया था। जिसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सम्मानित किया गया था। उन्होंने कहा कि मैं आशा करता हूं कि निकट भविष्य में माइक्रोबायोलॉजी प्रयोगशाला जनहित में निरंतर कार्य करती रहेंगी।
इस अवसर पर एसीएमओ डॉ. अशोक तालियान, डॉ. सीमा जैन, डॉ. ज्ञानेश्वर टोंक, डॉ. रचना चौधरी, डॉ. प्रीती सिंह, डॉ. लोकेश सिंह, कपिल राणा, माइक्रोबायोलॉजी प्रयोगशाला में कार्यरत लैब तकनीशियन, कर्मचारीगण आदि उपस्थित रहे।