सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें बीमार 78 वर्षीय महिला की याचिका खारिज कर दी गई थी।

बुजुर्ग महिला ने लोकसभा चुनाव में वोट डालने के लिए हाई कोर्ट से उन्हें डाक मतपत्र जारी करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।

महिला ने पूर्व में हाई कोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर की थी, जिसमें बिलासपुर निर्वाचन क्षेत्र में अपना वोट डालने के लिए उनकी उम्र और बीमारियों को ध्यान में रखते हुए डाक मतपत्र जारी करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।

इस सीट पर सात मई को मतदान हुआ था। हाई कोर्ट ने 29 अप्रैल को उन्हें संबंधित निर्वाचन अधिकारी के समक्ष आवेदन करने की अनुमति दी और प्राधिकारी को उनके दावे पर कानून के अनुसार विचार करने का निर्देश दिया।

सोमवार को महिला के वकील ने जस्टिस बेला त्रिवेदी और पंकज मिथल की अवकाशकालीन पीठ को बताया कि हाई कोर्ट के 29 अप्रैल के आदेश के अनुसार, उन्होंने डाक मतपत्र जारी करने के लिए निर्वाचन अधिकारी के समक्ष आवेदन किया था।

महिला की ओर से अदालत में पेश वरिष्ठ वकील गौरव अग्रवाल ने कहा कि निर्वाचन अधिकारी ने एक मई को उनका आवेदन खारिज कर दिया।

उन्होंने कहा कि निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि आपकी शारीरिक विकलांगता 40 प्रतिशत से अधिक नहीं है इसलिए मैं आपको (डाक मतपत्र के माध्यम से) वोट डालने की अनुमति नहीं दूंगा। यह आदेश का सार है।

अग्रवाल ने कहा कि महिला ने फिर से हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने छह मई को उनके आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि मतदान की तारीख सात मई है और डाक मतपत्र जारी करने और उसके संग्रह के संबंध में निर्वाचन आयोग द्वारा जारी निर्देश 24 घंटे में पूरा नहीं किया जा सकता है।

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