गृह मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF), मणिपुर सरकार और भारत सरकार के बीच 29 नवंबर, 2023 को हुए शांति समझौते के बाद नेशनल रिवोल्यूशनरी फ्रंट मणिपुर के लगभग 25 नेता/कैडर, मेजर बोइचा के सेना-उप-प्रमुख) के नेतृत्व में 25 हथियारों के साथ 02 दिसंबर, 2023 को युनाइटेड नैशनल लेबरेशन फ्रंट में शामिल हो गए हैं। इसके साथ ही संगठन के अधिकांश सदस्य हिंसा छोड़ समाज की मुख्यधारा में सामिल हो गए हैं। इस घटनाक्रम से मणिपुर में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के मोदी सरकार के प्रयासों को गति मिलेगी।
उल्लेखनीय है कि एनआरएफएम (पुराना नाम-यूनाइटेड रिवोल्यूशनरी फ्रंट) का गठन 11 सितंबर, 2011 को केसीपी (एक मैतेई यूजी संगठन) के तीन गुटों के कैडरों द्वारा किया गया था।इसके वरिष्ठ नेता पड़ोसी देश के ठिकानों से काम करते थे और मणिपुर घाटी के विभिन्न हिस्सों में हिंसा और जबरन वसूली में शामिल थे।
इस घटनाक्रम से अन्य मैतेई यूजी संगठनों को शांति प्रक्रिया में शामिल होने और लोकतांत्रिक तरीके से अपनी मांगों को आगे रखने के लिए प्रोत्साहन मिलने की संभावना है। साथ ही, इससे मोदी सरकार के ‘उग्रवादमुक्त और समृद्ध पूर्वोत्तर’ के सपने को साकार करने में सहायता मिलेगी।