अयोध्या में आज राम मंदिर का उद्घाटन हुआ और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की गई। जैसा की आप जानते हैं राम मंदिर जिस जगह पर बना है वह भूमि विवादों से जुड़ी हुई थी। बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे को ढहाने के बाद सालों तक चली कानूनी लड़ाई के बाद फैसला राम मंदिर के हक में आया और वहां मंदिर का निर्माण किया गया।
बाबरी मस्जिद के अलावा मथुरा और वाराणसी में भी मंदिर और मस्जिद की भूमि को लेकर विवाद है। वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा के शाही ईदगाह को लेकर भी सालों से विवाद चल रहा है। हिन्दू पक्ष का कहना है कि ये दोनों ही मस्जिदें मंदिरों को तोड़ कर बनाई गईं थीं। दोनों ही मामला कोर्ट में है।
इस मामले में अयोध्या में विवादित स्थल की पहली और दूसरी खुदाई के दौरान ASI के अधिकारी रहे केके मोहम्मद का कहना है कि ये दोनों ही जगहों को हिन्दुओं को सौंप देना चाहिए। न्यूज एजेंसी IANS को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि विवाद का एक मात्र समाधान इन स्थलों को हिंदुओं को सौंप देना ही है।
उन्होंने कहा इन तीनों ही स्थानों से हिन्दूओं की भावना जुड़ी हुई है। भगवान राम, श्री कृष्ण और भगवान शिव में हिन्दुओं की आस्था है जबकि इन जगहों पर विवादों से घिरे मस्जिद से मुसलमानों की भावनाएं नहीं जुड़ी है। उनकी भावनाएं मक्का औ मदीना से जुड़ी हैं।
अयोध्या में जब विवादित भूमि पर पहली बार खुदाई हुई थी तभी वहां से 12 स्तंभ मिले थे। केके मोहम्मद का कहना है कि उनमें से कई स्तंभों पर हिंदू निशान बने हुए थे।
वो (केके मोहम्मद) तब बीबी लाल की टीम में ट्रेनी के तौर पर काम कर रहे थे। उन्होंने कहा, “बीबी लाल नहीं चाहते थे कि ये बातें सामने आएं और कोई विवाद पैदा हो। इसलिए वो इसका प्रकाशन नहीं करवाना चाहते थे। लेकिन बाद में कम्युनिस्ट इतिहासकारों ने कहा कि खुदाई में कुछ भी नहीं मिला। जिसके बाद प्रोफेसर बीबी लाल को जवाब देना पड़ा और उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सच बता दिया।”
केके मोहम्मद ने कहा, “1992 में जब बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराया गया तो यह सुनकर मैं भी हैरान रह गया था। एक पुरातत्ववेत्ता के रूप में मैं कभी किसी भी संरचना को नष्ट करने का समर्थन नहीं कर सकता। इस बात की खुशी है कि खुदाई के बाद जो निष्कर्ष दिए गए उसके परिणामस्वरूप राम मंदिर बन गया है और भगवान राम वहां विराजमान हो रहे हैं।
केके मोहम्मद केरल के कोझिकोड में रहते हैं। उन्हें आज, 22 जनवरी को अयोध्या, राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था। लेकिन वो समारोह में नहीं गए। उनका कहना है कि बीमारी के चलते वो समारोह में शामिल होने के लिए फिट नहीं हैं। उन्होंने कहा, “आज भी मुझे कई बार धमकियों का सामना करना पड़ता है। जब से मैंने विवादित स्थल की खुदाई में मिले परिणाम के बारे में बताया था तब से ही मुझे धमकियां मिलने लगीं।