पश्चिम बंगाल के महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने गुरुवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय को सूचित किया कि राज्य सरकार विपक्ष के नेता (एलओपी) सुवेंदु अधिकारी को चुनाव के बाद की हिंसा के खिलाफ राजभवन के सामने प्रदर्शन करने की सशर्त मंजूरी देने को तैयार है।

दत्ता ने न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा की एकल पीठ को सूचित किया कि विपक्ष के नेता अधिकारी को 30 जून को चार घंटे के लिए राजभवन के सामने प्रदर्शन करने की अनुमति दी जा सकती है।

लेकिन अधिकारी के वकील ने तारीख पर आपत्ति जताई और कहा कि 30 जून को प्रदर्शन करना उनके मुवक्किल के लिए संभव नहीं होगा।

इसके बाद, दत्ता ने अदालत को सूचित किया कि तारीख में बदलाव की स्थिति में उन्हें संबंधित अधिकारियों से परामर्श करना होगा।

इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए न्यायमूर्ति सिन्हा ने कहा, “बार-बार सुनवाई स्थगित करना अच्छी प्रथा नहीं है। राजनीतिक मामलों के कारण अक्सर अन्य मामले बाधित होते हैं। राजनेताओं की बातों पर भरोसा नहीं किया जा सकता।

इसके पहले पुलिस ने अधिकारी को धरना देने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। इस पर उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया और तर्क दिया कि पुलिस ने पिछले साल राजभवन के सामने इसी तरह के प्रदर्शन की अनुमति दी थी।

अदालत ने विपक्ष के नेता को दूसरी जगह का चयन करने का निर्देश दिया। इस पर अधिकारी के वकील ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल ने वैकल्पिक स्थल के रूप में पुलिस महानिदेशक के कार्यालय के सामने वाली सड़क को चुना है।

लेकिन अब, स्थिति ने एक अलग मोड़ ले लिया है। क्योंकि सरकार ने अदालत को सूचित किया है कि वह राजभवन के सामने प्रदर्शन के लिए सशर्त मंजूरी देने को तैयार है।

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